पटना। भारत सरकार के स्वास्थ्य कल्याण व परिवार कल्याण मंत्रालय के ड्रीम प्रॉजेक्ट के तहत पटना एम्स में ड्रोन उड़ाकर डेमो दिया गया. यह ड्रोन पटना एम्स के आसपास 15 किलोमीटर तक के अस्पतालों में जीवन रक्षक दवा पहुंचाने की क्षमता रखता है। बता दें, एम्स में सोमवार को ड्रोन से दवा भेजने का तीसरा […]
पटना। भारत सरकार के स्वास्थ्य कल्याण व परिवार कल्याण मंत्रालय के ड्रीम प्रॉजेक्ट के तहत पटना एम्स में ड्रोन उड़ाकर डेमो दिया गया. यह ड्रोन पटना एम्स के आसपास 15 किलोमीटर तक के अस्पतालों में जीवन रक्षक दवा पहुंचाने की क्षमता रखता है। बता दें, एम्स में सोमवार को ड्रोन से दवा भेजने का तीसरा ट्रायल सफल रहा।
कई बार ऐसा होता है कि समय से दवा नहीं पहुंचने के कारण मरीज को समय पर इलाज नहीं मिल पाता। इसके साथ ही बेहतर सेवाएं नहीं मिल पाने के कारण कई बार मरीजों की मौत भी हो जाती है। लोगों को सयम पर इलाज मिल पाएं और गांव-कस्बे तक मरीजों को दवाइयां पहुंचाई जा सके. इसका बेस्ट तरीका एम्स ने निकाला है. दरअसल ड्रोन के सहारे अब दूर दराज तक दवाई पहुंचाई जा सकेगी।
बता दें, एम्स का तीसरा ट्रायल सफल रहा। ड्रोन एम्स पटना से 12 किमी की दूरी 8 मिनट में तय कर नौबतपुर रेफरल अस्पताल पहुंचा। स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया की पहल पर एम्स पटना ने हेल्थकेयर ड्रोन का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया। बता दे, कार्यकारी निदेशक डॉ.जी. के पाल ने एम्स पटना से 12 किमी दूर स्थित नौबतपुर पीएचसी तक हेल्थकेयर ड्रोन के कार्यान्वयन का सफलतापूर्वक प्रदर्शन किया। इस कार्यक्रम में डीडीए नीलोत्पल बल, नोडल अधिकारी डॉ. संजय पांडे और निदेशक के विशेष कर्तव्य अधिकारी डॉ. अनिल कुमार की सक्रिय भागीदारी देखी गई, जिन्होंने इस अभिनव पहल को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ. जी .के. पाल ने सहयोगात्मक प्रयास के लिए सराहना व्यक्त करते हुए अपनी टीम को बधाई दी और मंत्री मनसुख मंडाविया को उनके अटूट समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया। ड्रोन का यह तीसरा सफल प्रदर्शन एम्स से नौबतपुर पीएचसी तक था, जिसमें संस्थान से पीएचसी तक आवश्यक दवाओं की डिलीवरी भी शामिल थी।
चिकित्सा क्षेत्र में ड्रोन टेक्नोलाजी का इस्तेमाल सुदूर व दुर्गम क्षेत्रों में संचालित अस्पतालों में इलाज की गुणवत्ता सुधारने के लिए किया जा रहा है। सरकार ने विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों को मेडिकल कालेजों व अन्य उच्च संस्थानों से सम्बद्ध किया है। ऐसे में यदि टेलिमेडिसिन में उपचार के बाद किसी पीड़ित को तुरंत जीवनरक्षक दवाओं की जरूरत होगी तो उन्हें यहां से भेजा जा सकेगा।