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Sugar mill: सालों से बंद चीनी मिल को दोबारा किया चालू, 5 लाख कामगारों को मिलेगा फायदा

पटना। सीतामढ़ी जिले में 4 सालों से बंद रीगा चीनी मिल को 20 दिसंबर से चालू किया जाएगा। वर्तमान में लगभग 400 मजदूर रीगा चीनी मिल में मरम्मत करने में लगे हुए हैं। गन्ना पेराई सत्र 2024-25 के दौरान इस चीनी मिल में 15 से 20 लाख क्विंटल की पेराई होने की संभावना है। इससे […]

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Sugar mill
  • December 12, 2024 6:38 am IST, Updated 10 months ago

पटना। सीतामढ़ी जिले में 4 सालों से बंद रीगा चीनी मिल को 20 दिसंबर से चालू किया जाएगा। वर्तमान में लगभग 400 मजदूर रीगा चीनी मिल में मरम्मत करने में लगे हुए हैं। गन्ना पेराई सत्र 2024-25 के दौरान इस चीनी मिल में 15 से 20 लाख क्विंटल की पेराई होने की संभावना है। इससे लगभग 80 करोड़ रुपये गन्ना कृषकों को फायदा मिलेंगे।

किसानों का आर्थिक विकास होगा

इससे शिवहर, मुजफ्फरपुर और सीतामढ़ी जिले के किसानों को लाभ के साथ आर्थिक विकास होगा। इस साल तीन जिलों के लगभग 5 हजार से 7 हजार गन्ना किसानों को इससे फायदा मिलेगा। मेसर्स रीगा सुगर कम्पनी लि., रीगा, सीतामढ़ी पेराई सत्र 2020-21 से बंद थी। इसका मामला एनसीएलटी कोलकाता कोर्ट में चल रहा था। एनसीएलटी कोलकाता बेंच द्वारा मेसर्स निरानी सुगर्स लिमिटेड को सफल निवेशक घोषित किया है । उन्होंने पूरी निविदा की राशि जमा कर दी है।

नए मालिक एक किसान परिवार से है

मिल के नये मालिक मेसर्स निरानी शुगर, बैंगलोर के चेयरमैन मरूगेश आर. निरानी है। चेयरमैन निरानी ने कहा कि वे खुद एक किसान परिवार से आते हैं। वे वर्तमान समय में 12 चीनी मिल कंपनियों का संचालन कर रहे हैं, जिनमें अब रीगा चीनी मिल भी शामिल हो गया है। उनके मिलों में लगभग 20 हजार लोग काम करते हैं। उन्होंने कहा कि वह लगभग 25 सालों से इस कारोबार में हैं। मिल के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर एस. निरानी का कहना है कि फिलहाल इस मिल की क्षमता 11 मेगावाट बिजली उत्पादन की है।

बिजली उत्पादन को 20 मेगावाट बढ़ाया

जिसे बढ़ाकर 20 मेगावाट करना होगा। सरकार भी बिजली की आपूर्ति करेगी। बांगुर ब्रदर्स ने बिहार के सीतामढ़ी भ्रमण किया। भ्रमण के दौरान रीगा में लखनदेई नदी के किनारे चीनी मिल के लिए जगह देखी गई थी। फिर काफी चर्चा के बाद साल 1932 में शुगर मिल को स्थापित किया गया। साल 1934 के भूकंप में चीनी मिल ध्वस्त हो गया था। जिसे काफी क्षति पहुंची थी। मरम्मत कराकर 1934 में ही चीनी मिल को फिर चालू कराया गया था।

मील बंद से 5 लाख लोगों को नुकसान

साल 1950 में एमएम बांगुर ब्रदर्स ने इस चीनी मिल को ओमप्रकाश धानुका के पिता पुरुषोत्तम लाल धानुका को सौंप दिया। तब से यह मील धनुका परिवार के ही अधीन है। पिछले 4 सालों से मिल के बंद रहने से 40 हजार गन्ना किसान, छोटे-बड़े दुकानदार, व्यापारी, हजारों कामगार, वाहन कारोबारी, उनसे जुड़े परिवार के कम से कम 5 लाख की आबादी को भारी नुकसान उठाना पड़ा। इन सब के सामने पेट पालने की समस्या खड़ी हो गई। मिल चालू होने से लोगों की आर्थिक स्थिति ठीक होगी। जिससे पुराने दिन फिर से लौट आएंगे।


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