पटना। नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में बड़ा फैसला लिया गया। दरअसल अब बिहार में शिक्षक बनने के लिए बिहारी होना जरुरी नहीं रहा। शिक्षक बहाली नियमावली में बदलाव करते हुए कहा गया है कि अब सूबे में शिक्षक बनने के लिए बिहार का स्थायी निवासी होना आवश्यक नहीं […]
पटना। नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में बड़ा फैसला लिया गया। दरअसल अब बिहार में शिक्षक बनने के लिए बिहारी होना जरुरी नहीं रहा। शिक्षक बहाली नियमावली में बदलाव करते हुए कहा गया है कि अब सूबे में शिक्षक बनने के लिए बिहार का स्थायी निवासी होना आवश्यक नहीं है। जबकि पहले भर्ती के लिए यह अहर्ता होना अनिवार्य था।
मालूम हो कि नई शिक्षक बहाली के तहत राज्य में 1 लाख 70 हजार 461 पदों पर बहाली की जायेगी। इसके लिए अधिसूचना जारी हो चुकी है। आवेदन करने की तिथि 15 जून से 12 जुलाई तक रखी गई है। जबकि अगस्त के अंत तक परीक्षा होगी। बिहार लोक सेवा आयोग ने कहा है कि परीक्षा का परिणाम इसी साल जारी कर दिया जाएगा।
उधर, सरकार के इस फैसले से शिक्षक अभ्यर्थी नाराज हो गए हैं। छात्र संघ के नेता दिलीप कुमार का कहना है कि बिहार सरकार का यह निर्णय गलत है। बिहार के अभ्यर्थियों का हक़ मारा गया है। किसी भी राज्य में आरक्षण उस प्रदेश के मूल निवासी का होता है। इस फैसले से बाहर की महिलाएं फॉर्म भरेंगी तो उसे भी आरक्षण का लाभ मिलेगा। बता दें कि बिहार में महिलाओं को 35% आरक्षण दिया गया है। बिहार के युवाओं के साथ धोखा किया गया है।