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आज से शुरु हुआ रमजान, इतने घंटे का होगा पहला रोजा होगा, देखें सेहरी से लेकर इफ्तार का वक्त

पटना। इस साल रमजान का महीना 12 मार्च यानी आज से शुरू हो गया. इस्लाम धर्म का सबसे पवित्र महीना रमजान इस बार 12 मार्च से शुरू हुआ. इसकी जानकारी जामा मस्जिद खजांचीहाट पूर्णिया के इमाम वाहिदउज्जमा कासमी ने दी. उन्होंने कहा कि रमजान का पाक महीना मंगलवार से शुरू होगा. उन्होंने मुस्लिम के साथ […]

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  • March 12, 2024 4:49 am IST, Updated 1 year ago

पटना। इस साल रमजान का महीना 12 मार्च यानी आज से शुरू हो गया. इस्लाम धर्म का सबसे पवित्र महीना रमजान इस बार 12 मार्च से शुरू हुआ. इसकी जानकारी जामा मस्जिद खजांचीहाट पूर्णिया के इमाम वाहिदउज्जमा कासमी ने दी. उन्होंने कहा कि रमजान का पाक महीना मंगलवार से शुरू होगा. उन्होंने मुस्लिम के साथ सभी देशवासियों को मुबारकबाद दी. उन्होंने कहा कि सारे इमान वाले भाईयों को चाहिए कि एहतराम से रोजा रखें, साथ ही सहरी और इफ्तार का ख्याल रखें। वही पीएम मोदी ने भी रमजान की देशवासियों को हार्दिक बधाई दी।

वक्त से पहले या वक्त के बाद न खाएं

उन्होंने कहा कि सेहरी और इफ्तारी के वक्त का जरूर ख्याल रखें. वक्त से पहले न तो सेहरी करें और न ही इफ्तारी, ऐसा करने से रोजा का फायदा नहीं मिलेगा. अगर आपके पास सेहरी का वक्त है उससे दो मिनट पहले इसको खत्म कर लें, वहीं इफ्तारी के वक्त होने के एक मिनट इंतजार के बाद इसको कर लें. इस मुबारक महीने में तरावीह पढ़ी जाती है. इसको सुन्नत कहा जाता है. तरावीह का एहतराम करें.

आज पढ़ी जाएगी तरावीह की नमाज

इमाम साहब ने कहा कि 12 मार्च से रोजा शुरू हो रहा है। वहीं तरावीह पढ़ने का समय 11 मार्च थी। 11 मार्च को देर शाम तरावीह शुरू हुई. यह रमजान का महीना अप्रैल में मुकम्मल होगा। यानी रोजे मुकम्मल हो जाएंगे जिसके बाद ईद उल फितर की नमाज पढ़ी जाएगी.

इतने घंटे का होगा पहला रोजा

इमाम वाहिदउज्जमा कासमी ने कहा कि पहला रोजा 12 मार्च से शुरू होगा. इसमें सेहरी का समय 4.36 से शुरू होगा. वहीं इफ्तार का समय 5.36 है. यानी पहला रोजा 12 घंटे 12 मिनट का होगा. जो कि पिछले साल की तूलना में कम है. इमाम साबह ने बताया कि पिछली बार 13 घंटा से ज्यादा का रोजा रखना पड़ा था. वहीं उन्होंने कहा कि इस बार मौसम भी काफी अच्छा है. इससे रोजेदारों को ज्यादा परेशानी नहीं होगी.

कौन रखा सकता है रोजा

इमाम वाहिदउज्जमा कासमी ने कहा कि इस्लाम में 13 से 14 उम्र के बच्चे बालिग हो जाते हैं. यह रोजा रख सकते हैं. वहीं इसके नीचे के बच्चे अगर रोजा रखते हैं तो इसका सबाब उनके पिता को जाता है.


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