Tuesday, September 24, 2024

बिहार में इंस्पेक्टर और डीएम का पावर बढ़ा, अब नहीं बचेगे गुनहगार

पटना। प्रदेश में असामाजिक तत्वों और अपराध के नए-नए स्वरूपों पर अंकुश लगने वाला है क्योंकि गुरुवार को विधानसभा ने बिहार अपराध नियंत्रण विधेयक, 2024 पर अपनी सहमति प्रदान कर दी। इसके अलावा बिहार लोक सुरक्षा (उपाय) विधेयक, 2024 पर भी विधानसभा की मुहर लग गई। बिहार विधानसभा में वीरवार को गृह विभाग के प्रभारी मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव ने बिहार अपराध नियंत्रण विधेयक 2024 पेश किया।

अपराधी को किया जाएगा जिलाबदर

उन्होंने कहा कि राज्य में असामाजिक तत्वों के नियंत्रण व दमन के विशेष प्रावधान के लिए बिहार अपराध नियंत्रण अधिनियम, 1981 लागू है। जो करीब 43 साल पुराना है। जब अधिनियम की परिकल्पना हुई उस समय नए स्वरूप के अपराधों की परिकल्पना नहीं की गई थी। आज अवैध शराब, अवैध बालू खनन, आग्नेयास्त्र का दुरूपयोग, भूमि कब्जा, यौन अपराध, सूचना प्रावैधिकी का दुरूपयोग, बच्चों के प्रति अपराध से समाज को सुरक्षित रखने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। इसलिए बिहार अपराध नियंत्रण विधेयक की जरूरत है। कानून में प्रविधान किया गया है कि जिला दंडाधिकारी को यदि प्रतीत हो कि उनके जिले के किसी भाग में किसी की गतिविधियों की वजह से व्यक्ति को किसी प्रकार का या संपत्ति का भय हो तो वे ऐसे व्यक्ति या समूह को नोटिस जारी कर सकेंगे। स्पष्टीकरण से संतुष्ट नहीं होने की स्थिति में अपराध करने वाले व्यक्ति को जिलाबदर कर सकेंगे। यह अवधि 6 महीने तक की होगी, लेकिन जरूरत होने पर इसका विस्तार हो सकेगा।

मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद यादव बोले

डीएम सामान्य या विशेष आदेश से किसी भी पुलिस पदाधिकारी जो इंस्पेक्टर से नीचे का ना हो उसे किसी भी स्थान की तलाशी लेने, जहाज, वाहन या जानवर को रोकने, उसकी तलाशी लेने का अधिकार दे सकेंगे। बिजेन्द्र प्रसाद यादव ने बिहार लोक सुरक्षा (उपाय) विधेयक 2024 पेश करने के बाद कहा, अपराध नियंत्रण एवं सुरक्षात्मक वातावरण बनाए रखने में राज्य सरकार को सार्वजनिक निगरानी प्रणाली में सक्षम होने के लिए जन सहयोग एवं जनभागीदारी आवश्यक है। इसके लिए राज्य के वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों व महत्वपूर्ण व भीड़-भाड़ वाले स्थलों पर इन स्थलों के संचालकों के द्वारा अपने अधीन प्रतिष्ठानों व स्थलों पर CCTV व अन्य सुरक्षात्मक तकनीक स्थापित कर असामाजिक तत्वों के कार्यकलापों पर प्रभावी नियंत्रण रखा जा सकता है। इन प्रतिष्ठानों में अस्पताल, बैंक, वाणिज्यिक केंद्र, धार्मिक स्थल, खेल परिसर, सैक्षणिक संस्थान, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड शामिल हैं। जहां CCTV कैमरा व सुरक्षात्मक उपकरण लगाए जाएंगे। इन कैमरों की फुटेज 30 दिनों के लिए संग्रहित रखना प्रतिष्ठान की जिम्मेदारी होगी। आवश्यकता पडऩे पर राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित पदधिकारी को फुटेज प्रदान करेंगे। विपक्ष के संशोधन प्रस्ताव को अस्वीकृत करते हुए बाद में इन दो नए संशोधन विधेयक को स्वीकृति दे दी गई।

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