पटना। दरभंगा व मधुबनी के तर्ज पर जिले के बरारी प्रखंड सहित इसके आसपास के प्रखंडो मे भी मखाना की खेती के प्रति किसानो का रुझान बढ़ा है। केले के खेती मे पनामा बिल्ट जैसी बीमारी से हाय तौबा के बाद किसानो ने नगदी फसल के रूप मे मखाना की खेती को अपने जीविकोपार्जन का […]
पटना। दरभंगा व मधुबनी के तर्ज पर जिले के बरारी प्रखंड सहित इसके आसपास के प्रखंडो मे भी मखाना की खेती के प्रति किसानो का रुझान बढ़ा है। केले के खेती मे पनामा बिल्ट जैसी बीमारी से हाय तौबा के बाद किसानो ने नगदी फसल के रूप मे मखाना की खेती को अपने जीविकोपार्जन का आधार बनाया है।
बरारी प्रखंड क्षेत्र के रौनिया, भंडारतल, भैसदीरा, पूर्वी बारीनगर, जगदीशपुर, शिशिया, सुजापुर, कांतनगर, सिक्कट आदि पंचायतो के निचले व जल जमाव वाले खेतो के हजारो एकड़ जमीन मे इसकी खेती की जा रही है। गत वर्ष भी इसके फलन (गुड़िया) का बाजार भाव ठीक ठाक रहने से इसकी खेती का रकवा बढ़ा है।
अमूनन मखाना फसल के पौधे की बोआई फरवरी से मार्च माह की बीच की जाती है। इसके फलन को तैयार होने मे करीब सात से आठ माह का समय लगता है। प्रति एकड़ लागत मूल्य काटकर किसानो को एक लाख से अधिक का मुनाफा हो जाता है। धान, गेहूं की खेती मे लागत के अनुसार मुनाफा कम होने से अब मखाना की खेती की ओर क्षेत्र के किसान मुखर हो रहे है।