पटना। बिहार के सीएम नीतीश कुमार के महागठबंधन से अलग होते ही चुनावी समीकरण बदलने लगे हैं। कई संभावित प्रत्याशियों के सपने टूटने लगे हैं। ये सभी प्रत्याशी विधानसभा बदलने की तैयारी कर रहे हैं। दो ध्रुव की पार्टी ज JDU और RJD पहली बार एक साथ लोकसभा चुनाव लड़ने की स्थिति में थी। लेकिन […]
पटना। बिहार के सीएम नीतीश कुमार के महागठबंधन से अलग होते ही चुनावी समीकरण बदलने लगे हैं। कई संभावित प्रत्याशियों के सपने टूटने लगे हैं। ये सभी प्रत्याशी विधानसभा बदलने की तैयारी कर रहे हैं। दो ध्रुव की पार्टी ज JDU और RJD पहली बार एक साथ लोकसभा चुनाव लड़ने की स्थिति में थी। लेकिन बिहार की राजनीति ने अचानक करवट ले ली।
बिहार में राजनीतिक बदलाव का सीधा प्रभाव जहानाबाद लोकसभा सीट पर देखने को मिल रहा। जैसे ही जदयू फिर से एनडीए गठबंधन में शामिल हुई, कई समीकरण इस लोकसभा में ध्वस्त हो गए। कई संभावित प्रत्याशियों के सपने टूट गए। लोकसभा सीट से वर्तमान सांसद JDU के हैं। एनडीए (NDA) गठबंधन में ही यह जीत हासिल हुई थी। सीधे मुकाबले में मामूली अंतर से इस सीट से पिछले लोकसभा चुनाव में राजद (RJD) की हार हुई थी। वर्ष 2022 में जब जनता दल यूनाइटेड महागठबंधन का अंग बना तो एनडीए के अन्य घटक दल के कई संभावित प्रत्याशी इस सीट की ओर अपनी निगाहें जमाए हुए थे।
दरअसल, जहानाबाद लोकसभा सीट पर 2002 से ही बीजेपी और जदयू एक साथ चुनाव लड़ती रही है। वर्ष 2014 तक दोनों का गठबंधन साथ रहा और यहां से मैदान में जदयू के उम्मीदवार रहे। इस अवधि में दो बार राजद तथा इतना ही बार jDU की जीत हुई। 2014 में जदयू भाजपा से अलग हो गई। उस स्थिति में राजद और जदयू दोनों ने अपने अपने उम्मीदवार उतारे। बीजेपी के सहयोगी दल उपेंद्र कुशवाहा की तत्कालीन पार्टी रालोसपा चुनाव मैदान में उतरी। इस चुनाव में जदयू के उम्मीदवार को मात्र एक लाख आठ हजार वोट मिले। राजद दूसरे स्थान पर रहा। भाजपा समर्थित रालोसपा की जीत हुई। गठबंधन बदलने के पहले भाजपा के सहयोगी दल उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल और लोजपा रामविलास से कई उम्मीदवारों की चर्चा यहां होने लगी थी। पूर्व सांसद डा अरुण कुमार भी इस समय लोजपा रामविलास में है।
दो ध्रुव की पार्टी JDU और RJD पहली बार एक साथ लोकसभा चुनाव लड़ने की स्थिति में थी। लेकिन बिहार की राजनीति ने अचानक करवट ले ली। सीएम नीतीश कुमार फिर से अपने परंपरागत सहयोगी बीजेपी पार्टी के साथ चले गए। इससे NDA के अन्य घटक दल के संभावित प्रत्याशी पशोपेश में पड़ गए हैं। कुछ समय पहले तक एनडीए गठबंधन से जो लोग उम्मीदवार माने जा रहे थे वे मायूस होकर क्षेत्र बदलने की तैयारी में जुट गए हैं। ऐसा माना जा रहा है कि सिटिंग क्षेत्र होने के कारण फिर से यह सीट जदयू के कोटे में जाएगी।
जहानाबाद लोकसभा सीट पर लंबे समय तक लाल झंडे का राज रहा। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से रामाश्रय प्रसाद यादव यहां से 4 बार MP यानी सांसद चुने गए। उसके बाद 13 महीने के लिए RJD के डा सुरेंद्र प्रसाद यादव, फिर JDU से डॉ अरुण कुमार, राष्ट्रीय जनता दल से गणेश यादव, जनता दल यूनाइटेड से डॉ जगदीश शर्मा, राष्ट्रीय लोक जनता पार्टी से डॉ अरुण कुमार सांसद बने। वर्तमान में इस संसदीय क्षेत्र से जनता दल यूनाइटेड के चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी एमपी है। लाल झंडा के बाद इस संसदीय क्षेत्र से एनडीए के घटक दल और राष्ट्रीय जनता दल में सीधा मुकाबला रहा है।