पटना। सीएम नीतीश कुमार एक बार फिर से जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए हैं। दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में जेडीयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में ललन सिंह ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और नीतीश कुमार ने फिर से पार्टी की कमान संभाली। बता दें कि सीएम नीतीश इससे पहले 2016 से लेकर 2020 तक जदयू के राष्ट्रीय अध्य्क्ष रह चुके हैं। ललन सिंह की विदाई जदयू से अचानक नहीं हुई है बल्कि इसकी कहानी पहले ही लिखी जा चुकी थी।
इस घटना से समझिये मामला
13 सितंबर 2023: नीतीश कुमार ने पार्टी के प्रखंड अध्यक्षों और जिलाध्यक्षों के साथ बैठक की थी। इस बैठक से नीतीश कुमार के खास ललन सिंह गायब दिखे। जब इस बात की चर्चा होने लगी तो पार्टी ने बयान जारी कर कहा कि वे बीमार हैं इस वजह से शामिल नहीं हो पाए जबकि इस बैठक से एक दिन पहले ही ललन सिंह ने राजगीर में एक बड़ी जनसभा को संबोधित किया था।
अशोक चौधरी से खटपट
28 सितंबर 2023: इस घटना के एक सप्ताह बाद ही सीएम नीतीश ने विधानसभा प्रभारियों के साथ मीटिंग की। बैठक के बाद ललन सिंह और भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी के बीच अनबन की ख़बरें सामने आई। राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने अशोक चौधरी को बरबीघा का दौरा करने से मना किया लेकिन वे नहीं माने। इसके दो दिन बाद ही अशोक चौधरी बरबीघा पहुंचे। जिसके बाद अशोक चौधरी जमुई के प्रभारी मंत्री पद से हटा दिए गए। हालांकि अशोक चौधरी के साथ नीतीश कुमार खड़े रहे।
लालू परिवार से बढ़ा रहे थे नजदीकी
इन दोनों घटनाओं से यह तय हो गया कि जदयू में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। इसके अलावा लालू परिवार से ललन सिंह की नजदीकियां नीतीश कुमार को चुभने लगी। ललन सिंह की मनमानी को नीतीश कुमार रोकना चाहते थे। उन्होंने पार्टी के सभी पदाधिकारियों के साथ बैक टू बैक बैठक की और 2024 का चुनाव मजबूती से लड़ने को कहा। साथ ही उन्होंने इस बात का भी संदेश दिया कि जदयू 2020 वाली गलती को नहीं दोहराएगी। इस बैठक के 100 दिन बाद अब ललन सिंह की राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से छुट्टी हो गई है।