Monday, September 23, 2024

जातिगत जनगणना पर रोक के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर

पटना। हाई कोर्ट ने बिहार में जातिगत जनगणना पर लगी रोक हटा दी है। उच्च न्यायलय के फैसले से जदयू और राजद खेमे में ख़ुशी है। इस फैसले से नीतीश सरकार को बड़ी जीत हासिल हुई है। वहीं उच्च न्यायालय द्वारा रोक हटा देने के बाद अब इसे लेकर याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट गए हैं। जानकरी के मुताबिक अखिलेश कुमार ने याचिका दायर करते हुए सर्वे के आदेश पर रोक लगाने की मांग की है। पटना हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी है। बता दें कि बिहार सरकार ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल करते हुए कहा है कि कोई भी फैसला सुनाने से पहले उन्हें अपनी बात रखने का मौका दिया जाये।

जानिए अब तक क्या-क्या हुआ

बता दें कि बिहार में 7 जनवरी से जातिगत जनगणना की शुरुआत हुई थी। 15 अप्रैल से दूसरे चरण की शुरुआत हुई थी। 21 अप्रैल को मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा जहां एससी ने हाईकोर्ट जाने को कहा। 2 और 3 मई को सुनवाई के बाद इस मामले में पटना उच्च न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रख लिया। इसके बाद हाईकोर्ट ने 4 मई को गणना पर रोक लगा दी। हाईकोर्ट ने 3 जुलाई को सुनवाई की अगली तारीख रखी। जिसमें बिहार सरकार की तरफ से जल्द सुनवाई की अपील की गयी। हाई कोर्ट ने जल्द सुनवाई से इंकार कर दिया।

पहले भी हुई थी जातिगत गणना

11 मई को बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया। 19 मई को सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को हाईकोर्ट जाने को कहा। 3 और 4 जुलाई को हाई कोर्ट में बहस हुई, जिसमें फैसला सुरक्षित रख लिया गया और आज सारी याचिकाएं खारिज करते हुए जनगणना कराने की मंजूरी दे दी गयी है। बता दें कि देश में सबसे पहले जातिगत जनगणना 1931 में हुई थी। 1941 में इसका डेटा एकत्रित कर लिया गया था लेकिन इसे सार्वजानिक नहीं किया गया।

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