लखनऊ। हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक की शुरूआत होती है। होलाष्टक होलिका दहन के पहले 8 दिन होते हैं। होलिका दहन के बाद होलाष्टक की समाप्ति हो जाती है। आम भाषा में कहे तो होली से ठीक पहले 8 दिन को होलाष्टक कहा जाता है। होलाष्टक की शुरूआत […]
लखनऊ। हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से होलाष्टक की शुरूआत होती है। होलाष्टक होलिका दहन के पहले 8 दिन होते हैं। होलिका दहन के बाद होलाष्टक की समाप्ति हो जाती है। आम भाषा में कहे तो होली से ठीक पहले 8 दिन को होलाष्टक कहा जाता है।
ऐसा माना जाता है कि इन 8 दिनों में कोई भी शुभ काम नहीं करना चाहिए, क्योंकि इन दिनों में नकारात्मक शक्तियां जागृत हो जाती हैं। जिस वजह से शुभ कार्य पूरा नहीं हो पाता है। इस साल होलाष्टक की शुरूआत 7 मार्च से होलाष्टक यानी आज से हो गई है। वहीं इसकी समाप्ति 13 को होगी। ऐसा कहा जाता है कि इस कामदेव को भगवान शिव ने भस्म कर दिया था, क्योंकि भगवान शिव की तपस्या तोड़ने के लिए कामदेव ने अपने 5 बाण से भगवान शिव पर प्रहार किया था।
कामदेव भगवान शिव की तपस्या इसलिए तोड़ना चाहते थे ताकि वह माता पार्वती से विवाह ना करें। कामदेव के भगवान शिव की तपस्या भंग करने पर शिवजी क्रोधित हो गए और उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोल ली। तीसरी आंख के खुलते ही कामदेव जलकर भस्म हो गए थे। यहीं कारण है कि जन्म और मृत्यु के बाद किए जाने वाले सभी काम होलाष्टक में नहीं किए जाते हैं। अगर किसी बच्चे का जन्म होली के दिनों में हुआ हो तो उसकी छठी होलाष्टक के दिनों में कर सकते हैं।
वहीं बात करें शादी, दुल्हन विदाई, भूमि पूजन, गृह प्रवेश, नाम करण और जनेऊ जैसे शुभ कार्यों की तो वह होलाष्टक के दिनों में नहीं किए जाते हैं। इन कार्यों को होलाष्टक में करने से इन कामों पर बुरा असर पड़ता है। कहा जाता है कि होलाष्टक के इन 8 दिनों में प्रह्लाद को हिरणकश्यप ने बंदी बनाया था। प्रह्लाद को जाने से मारने के लिए कई तरह की यातनाएं दी गई थी। यहीं कारण है कि होलाष्टक के इन 8 दिनों को अशुभ माना जाता है। इन दिनों में कोई भी शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। इन 8 दिनों में होली की तैयारी जैसे गोबर की गुलरिया बनाना, सामान खरीद कर लाना कर सकते हैं।