पटना। इस साल का दूसरा प्रदोष व्रत शनि के दिन होगा, जिस वजह से इसे शनि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाएगा। इस दिन भगवान शिव और शनि देव की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। पंचांग के मुताबिक शनि प्रदोष व्रत के दिन आयुष्मान और सौभाग्य का संयोग बन रहा है, जिसे अत्यंत शुभ […]
पटना। इस साल का दूसरा प्रदोष व्रत शनि के दिन होगा, जिस वजह से इसे शनि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाएगा। इस दिन भगवान शिव और शनि देव की विधिपूर्वक पूजा की जाती है। पंचांग के मुताबिक शनि प्रदोष व्रत के दिन आयुष्मान और सौभाग्य का संयोग बन रहा है, जिसे अत्यंत शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं केअनुसार, इस दिन कुछ खास उपाय करने से शनि देव की साढ़ेसाती और ढैय्या के नकारात्मक प्रभावों से बचा जा सकता है।
वैदिक पंचांग के मुताबिक ज्येष्ठ माह के त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 24 मई को शाम 7:20 बजे शुरू होगी। वहीं इसकी समाप्ति 25 मई को सुबह 3:51 बजे होगी। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से सभी तरह की परेशानी दूर होती है। इसलिए, ज्येष्ठ माह का पहला प्रदोष व्रत 24 मई को मनाया जाएगा। इस साल प्रदोष व्रत शनिवार को होने के कारण इसे शनि प्रदोष व्रत भी कहा जाता है। इस बार प्रदोष व्रत पर एक खास संयोग बन रहा है। इस दिन शनिवार होने के कारण शनि प्रदोष व्रत भी मनाया जाएगा। साथ ही, इस दिन शिववास भी होगी। जिस दिन शिववास होता है, उस दिन भगवान शिव स्वयं धरती पर आते हैं। धरती पर आकर नदी के किनारे बैठकर विचरण करते हैं। यही कारण है कि जेठ माह के पहले प्रदोष का महत्व और भी बढ़ जाता है।
त्रयोदशी का व्रत शनि प्रदोष व्रत कहलाता है। शनि के दिन प्रदोष व्रत पड़ने के कारण इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है। सूर्यास्त के बाद और रात से पहले का समय प्रदोष काल का समय होता है। इस व्रत में भगवान भोलेनाथ और शनि देव की पूजा की जाती है। व्रती महिलाएं त्रयोदशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। स्नान करने के बाद बेलपत्र, गंगाजल, अक्षत, धूप, दीप आदि भगवान शिव को अर्पित किया जाता है। इस व्रत में महिलाएं निर्जला व्रत रखतीहैं। सूरज डूबने के बाद शाम के समय में पुनः भगवान शिव और शनि देव की पूजा करनी चाहिए। मान्यता है कि इस व्रत करने से महिलाओं को संतान की प्राप्ति होती है।