Salaries: हेडमास्टरों को चुकानी पड़ी लापरवाही की कीमत, वेतन में हुई कटौती

पटना। बिहार के सिवान जिले में 128 स्कूल हेड मास्टरों के वेतन में कटौती की गई है। यह कार्रवाई छात्रों के अपार कार्ड ना बनाने की लापरवाही को लेकर की गई है। शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों को अपार कार्ड बनाने के निर्देश दिए थे, लेकिन इन हेड मास्टरों ने इस आदेश का पालन नहीं […]

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Salaries: हेडमास्टरों को चुकानी पड़ी लापरवाही की कीमत, वेतन में हुई कटौती

Pooja Pal

  • December 18, 2024 4:08 am IST, Updated 7 hours ago

पटना। बिहार के सिवान जिले में 128 स्कूल हेड मास्टरों के वेतन में कटौती की गई है। यह कार्रवाई छात्रों के अपार कार्ड ना बनाने की लापरवाही को लेकर की गई है। शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों को अपार कार्ड बनाने के निर्देश दिए थे, लेकिन इन हेड मास्टरों ने इस आदेश का पालन नहीं किया। यही कारण है कि शिक्षा विभाग ने एक्शन लेते हुए इनके वेतन में कटौती की है।

आदेशों की अनदेखी की

सिवान जिले में शिक्षा विभाग ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 128 स्कूल प्रधानाध्यापकों के वेतन काटे हैं। इन पर आरोप है कि उन्होंने अपने स्कूल के बच्चों का अपार कार्ड नहीं बनाया। जिला शिक्षा पदाधिकारी राघवेंद्र प्रताप सिंह ने इस मामले में आदेश जारी किया है। इस आदेश में दरौली, दारौंदा, बड़हरिया, बसंतपुर समेत कई प्रखंडों के स्कूल शामिल हैं। शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों को अपार कार्ड बनाने को कहा था, लेकिन इन प्रधानाध्यापकों ने इन निर्देशों का नजरअंदाज कर दिया।

यू-डायस पोर्टल से बनता है कार्ड

अपार कार्ड एक डिजिटल पहचान पत्र होता है, जो हर छात्र के आधार कार्ड से लिंक होता है। इससे छात्रों को स्कूल बदलने में किसी तरह की परेशानी नहीं होती। भविष्य में वोटर आईडी कार्ड बनाने में यह अपार कार्ड सहायक होगा। हर छात्र का एक यूनिक आईडी नंबर होगा। यह यू-डायस पोर्टल के माध्यम से बनाया जाता है। केंद्रीय विद्यालय और नवोदय विद्यालय के 9वीं से 12वीं कक्षा के बच्चों के अपार कार्ड पहले ही बनाए जा चुके हैं। इसके लिए बच्चों के माता-पिता की सहमति से सहमति पत्र लिया जाता है।

लापरवाही बर्दाश्त नहीं

शिक्षा विभाग ने सभी स्कूलों को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि सभी बच्चों के अपार कार्ड बनाने होंगे, लेकिन सिवान के इन 128 स्कूलों के हेडमास्टरों ने इन निर्देशों का पालन नहीं किया। इस लापरवाही के कारण ही उनके वेतन में कटौती की गई है। शिक्षा विभाग का कहना है कि नियमों का पालन करना सभी के लिए जरूरी है। बच्चों के भविष्य से संबंधित मामलों में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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