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म्यांमार में आज भी महसूस किए भूकंप के झटके, 3.9 की तीव्रता से कांपी धरती

पटना। म्यांमार में 28 मार्च को आए भयंकर भूकंप के बाद से धरती की कंपन लगातार जारी है। भूकंप आने से म्यांमार में भारी तबाही मची। यह सब ऐसा समय में हो रहा है जब देश 20 दिन पहले मध्य क्षेत्र में आए 7.7 तीव्रता के बड़े भूकंप की तबाही से उभरा भी नहीं है। […]

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Earthquake tremors
  • April 18, 2025 7:58 am IST, Updated 23 hours ago

पटना। म्यांमार में 28 मार्च को आए भयंकर भूकंप के बाद से धरती की कंपन लगातार जारी है। भूकंप आने से म्यांमार में भारी तबाही मची। यह सब ऐसा समय में हो रहा है जब देश 20 दिन पहले मध्य क्षेत्र में आए 7.7 तीव्रता के बड़े भूकंप की तबाही से उभरा भी नहीं है। भूकंप से हुई तबाही के लिए आज भी राहत व बचाव कार्य जारी है।

आज भी महसूस किए भूकंप के झटके

इस आपदा में लापता हुए लोगों को आज भी तलाशा जा रहा है। कई जगह मलबा फैला हुआ है। म्यांमार में लगातार भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं। शुक्रवार को भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (एनसीएस) की रिपोर्ट में बताया कि म्यांमार में 3.9 तीव्रता से धरती कांपी। भूकंप का क्षेत्र 10 किलोमीटर की गहराई में रहा। इसे आफ्टरशॉक के लिए अतिसंवेदनशील श्रेणी में रखा गया। ‘एक्स’ पर एक पोस्ट के जरिए एनसीएस ने कहा कि 18 अप्रैल यानी आज 3.9 की तीव्रता से भूंकप आया।

चिली में भी कांपी धरती

इस बीच चिली में भी तेज भूकंप आया। जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेज (GFZ) ने बताया कि गुरुवार को उत्तरी चिली में 5.7 तीव्रता का भूकंप आया। भूकंप का केंद्र 178 किलोमीटर (110.6 मील) की गहराई में था। 28 मार्च को आए भूकंप के बाद देश में भारी नुकसान हुआ। साथ ही कई लोगों की जान भी चली गई। म्यांमार की सैन्य सरकार के प्रवक्ता मेजर जनरल जॉ मिन टुन ने बताया कि 28 मार्च को आए भूकंप से मरने वालों की संख्या 3,649 थी। वहीं इस आपदा से 5,018 लोग घायल हुए थे।

कृषि उत्पादन को हानि

संयुक्त राष्ट्र ने पिछले सप्ताह बताया था कि 28 मार्च को आए भूकंप से होने वाले नुकसान से म्यांमार में मानवीय संकट और गहरा गया है। म्यांमार फिलहाल गृहयुद्ध से जूझ रहा है। इस वजह से पहले ही 30 लाख से ज्यादा लोग यहां से विस्थापित हो चुके हैं। भूकंप ने कृषि उत्पादन को बुरी तरह से हानि पहुंचाई है। कई चिकित्सा सुविधाओं के क्षतिग्रस्त होने से म्यांमार में स्वास्थ्य आपातकाल के हालात बन गए हैं।


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