पटना। सनातन धर्म में यशोदा जयंती का पर्व बहुत खास माना जाता है। हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को यशोदा जयंती मनाई जाती है। यह दिन भगवान श्री कृष्ण की मां यशोदा के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। भगवान श्री कृष्ण का जन्म मां देवकी की कोख से […]
पटना। सनातन धर्म में यशोदा जयंती का पर्व बहुत खास माना जाता है। हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को यशोदा जयंती मनाई जाती है। यह दिन भगवान श्री कृष्ण की मां यशोदा के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। भगवान श्री कृष्ण का जन्म मां देवकी की कोख से हुआ था, लेकिन माता यशोदा ने श्रीकृष्ण भगवान को पालन-पोषण किया था।
यशोदा जयंती के पावन पर्व पर भगवान कृष्ण और माता यशोदा की विधि-विधान से पूजा की जाती है। साथ ही माताएं अपने संतान की लंबी आयु और सुखी जीवन के लिए व्रत भी रखती हैं। यह त्योहार खासतौर से गुजरात, महाराष्ट्र और दक्षिण भारतीय राज्यों में बड़े धूमधाम और खुशी के साथ मनाया जाता है। द्रिक पंचांग के मुताबिक फाल्गुन माह कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि की शुरूआत 18 फरवरी को सुबह 4 बजे 54 मिनट पर होगी। अगले दिन 19 फरवरी को सुबह 7 बजकर 32 मिनट पर जाकर खत्म होगा।
ऐसे में उदयातिथि के मुताबिक 18 फरवरी 2025 को यशोदा जयंती मनाई जाएगी। यशोदा जयंती के दिन वृद्धि योग का संयोग बन रहा है। ब्रह्म मुहूर्त 5 बजकर 15 मिनट से शुरू होकर 6 बजकर 6 मिनट पर होगा। अभिजित मुहूर्त 12 बजकर 13 मिनट पर शुरू होकर 12 बजकर 58 मिनट पर खत्म होगा। यशोदा जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लेना चाहिए। स्नान के बाद माता यशोदा और भगवान कृष्ण का ध्यान करना चाहिए।
एक छोटी चौकी पर माता यशोदा और भगवान कृष्ण को गोद में ली हुई तस्वीर को स्थापित करें। तस्वीर के सामने घी का दीपक जलाएं। साथ ही भगवान कृष्ण और मां यशोदा को फूल, फल और धूप अर्पति करें। मां यशोदा को लाल रंग की चुनरी चढ़ाएं। साथ ही श्री कृष्ण को मक्खन का भोग लगाए।