Uttarkashi Tunnel Rescue: उत्तराखंड की सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को 17 दिनों के भारी संघर्ष के बाद मंगलवार को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। सुरंग का निर्माण उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिल्कियारा को डंडालगांव से जोड़ने के लिए किया जा रहा था। यह चार धाम सड़क परियोजना के तहत बनाया जा रहा […]
Uttarkashi Tunnel Rescue: उत्तराखंड की सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को 17 दिनों के भारी संघर्ष के बाद मंगलवार को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। सुरंग का निर्माण उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिल्कियारा को डंडालगांव से जोड़ने के लिए किया जा रहा था। यह चार धाम सड़क परियोजना के तहत बनाया जा रहा है जिसका इसका उद्देश्य उत्तरकाशी से यमुनोत्री धाम की यात्रा को लगभग 26 कि.मी कम करना है।
बता दें कि 12 नवंबर 2023 यानी जिस दिन पूरा देश दीपावली का त्योहार मना रहा था उस दिन, रोजाना की तरह ये मजदूर सिलक्यारा टनल में खुदाई का काम कर रहे थे। इसी बीच सुबह 5:30 बजे अचानक भूस्खलन होने लगा। इस दौरान कई मजदूर बाहर निकल गए।, लेकिन अचानक निर्माणाधीन टनल का 60 मीटर हिस्सा धंस गया और 41 मजदूर सुरंग के अंदर फंसे रह गए। फिलहाल कई दिनों तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद सभी को सकुशल बाहर निकाल लिया गया है। दरअसल, सुरंग में फंसे ये मजदूर उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, असम, झारखंड और ओडिशा के रहने वाले हैं।
सबाह अहमद
बता दें कि सुरंग से बाहर आए सबाह अहमद बिहार के भोजपुर जिले के रहने वाले हैं। उनके पिता का नाम मिस्बाह अहमद है। रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान तय किया गया कि मजदूरों को बाहर निकालने का क्रम इस तरह होगा कि जिसकी उम्र सबसे कम है उसको पहले बाहर भेजा जाएगा। इस दौरान टीम लीडर्स को आखिरी में टनल से बाहर निकाला जाएगा। रेस्क्यू ऑपरेशन की सफलता के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले सबाह अहमद से ही बात की थी।
सोनू शाह
सोनू शाह बिहार के छपरा जिले के रहने वाले हैं। सोनू के पिता का नाम सवालिया शाह है। रेसक्यू ऑपरेशन के बाद सुरंग से बाहर आए सोनू ने अपनी मां से बात की। इस दौरान सोनू की मां ने सरकार और रेस्कयू कार्य में लगे कर्मियों को तहे दिल से धन्यवाद दिया। सुरंग से निकलने के बाद सोनू ने फोन पर अपनी मां से बात करते हुए बताया कि वो सुरक्षित हैं और दो दिन के बाद गांव जाएंगे।
वीरेन्द्र किसकू
इसके अलावा सुरंग से बाहर निकाले गए 41 मजदूरों में वीरेन्द्र किसकू भी शामिल थे। वीरेन्द्र किसकू मूल रूप से बिहार के कटोरिया में स्थित तेतरिया गांव के रहने वाले हैं। यह गांव बिहार के बांका जिले में स्थित है।
सुशील कुमार
वहीं सुशील कुमार मूल रूप से बिहार के चंदनपुर गांव के निवासी हैं। उसके पिता का नाम राजदेव विश्वाकर्मा बताया जा रहा है। सुशील भी 41 सदस्यीय श्रमिकों का हिस्सा थे, जो सुरंग के कार्य में लगे हुए थे।
दीपक कुमार
इसमें सुरंग से बाहर आए दीपक कुमार बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के जैतपुर ओपी क्षेत्र के गिजास निवासी हैं। दीपक के पिता का नाम शत्रुघ्न राय है। दो भाइयों में छोटा दीपक विगत दो वर्षों से टनल निर्माण में लगी कंपनी में कार्यरत है। इसके पहले वह असम में कार्य करने के दौरान उत्तराखंड टनल निर्माण कार्य में गया था। बताया जा रहा है कि दीपक अप्रैल महीने में अपने बड़े भाई की शादी में आने वाला था।
बता दें कि टनल में फंसे सभी 41 लोगों को पाइप के जरिए ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही थी। बचाव अधिकारी पाइप द्वारा पानी और खाद्य सामग्री भेज रहे थे। बिहार के यह पांच श्रमिक भी उन 41 सदस्यीय श्रमिकों का हिस्सा थे, जो सुरंग को बनाने के कार्य में लगे थे।