पटना: साल 1990 में सिंथेटिक्स एंड केमिकल्स मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के पक्ष में फैसला सुनाया था. संविधान पीठ ने कहा कि राज्य समवर्ती सूची के तहत भी औद्योगिक शराब को विनियमित करने का दावा नहीं कर सकते।
राज्यों के पास है इसके पूरे अधिकार
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यों को भी औद्योगिक शराब के उत्पादन और आपूर्ति के संबंध में कानून बनाने का अधिकार है, इसलिए “राज्य की शक्ति छीनी नहीं जा सकती”।
डीवाई चंद्रचूड़ ने फैसला सुनाते हुए क्या कहा?
CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हृषिकेश रॉय, उज्जवल भुइयां, मनोज मिश्रा, एससी शर्मा, एएस ओका, जेबी पारदीवाला और एजी मसीह के बहुमत ने फैसला सुनाया कि राज्यों को उपभोक्ता शराब को विनियमित करने का पूरा अधिकार है।
GST आने के बाद सुप्रीम कोर्ट का लिया था सहारा
वहीं, जस्टिस बीवी नागरत्ना ने इस फैसले से असहमति जताई और कहा कि औद्योगिक शराब को नियंत्रित करने का विधायी अधिकार केवल केंद्र के पास होगा. इस मामले में याचिकाकर्ताओं ने कहा कि जीएसटी लागू होने के बाद औद्योगिक शराब पर टैक्स लगाने का अधिकार बहुत महत्वपूर्ण हो गया है.
34 साल पहले सुनाई गई थी फैसला
34 साल पहले 7 जजों की संविधान पीठ ने इस मामले में औद्योगिक शराब उत्पादन और नियमन की शक्ति केंद्र सरकार को सौंपने पर सहमति जताई थी. कोर्ट की नई बेंच ने इस फैसले को पलट दिया और साफ कर दिया कि औद्योगिक शराब का इस्तेमाल पीने के लिए नहीं किया जाता है. अतः इसे संविधान के अनुसार गैर विषैले अल्कोहल की श्रेणी में वर्गीकृत किया जाना चाहिए।