पटना हाईकोर्ट ने जातीय गणना पर नीतीश सरकार से पूछे कई सवाल, फैसले की तारीख हुई तय

पटना: बिहार में एक तरफ जहाँ इस वक़्त जातीय गणना का काम जोर-शोर से चल रहा है। तो दूसरी तरफ इसे रोकने के लिए पटना हाईकोर्ट में सुनवाई जारी है। जिसे लेकर बुधवार को कोर्ट में सुनवाई भी पूरी हुई। पिछले दो दिनों से दोनों पक्ष के वकील दलील पेश कर रहे थे। दोनों तरफ […]

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पटना हाईकोर्ट ने जातीय गणना पर नीतीश सरकार से पूछे कई सवाल, फैसले की तारीख हुई तय

Jaan Nisar Khan

  • May 3, 2023 2:52 pm IST, Updated 2 years ago

पटना: बिहार में एक तरफ जहाँ इस वक़्त जातीय गणना का काम जोर-शोर से चल रहा है। तो दूसरी तरफ इसे रोकने के लिए पटना हाईकोर्ट में सुनवाई जारी है। जिसे लेकर बुधवार को कोर्ट में सुनवाई भी पूरी हुई। पिछले दो दिनों से दोनों पक्ष के वकील दलील पेश कर रहे थे। दोनों तरफ की दलील सुनने के बाद पटना हाईकोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुनाने की तारीख तय की है। वहीँ कोर्ट ने सुनवाई के दौरान नीतीश सरकार से कई सवाल किए हैं।

कोर्ट ने सरकार से पूछा

  • क्या आर्थिक सर्वेक्षण कराना क़ानूनी बाध्यता है ?
  • जातीय गणना कराना सरकार के अधिकार क्षेत्र में है या नहीं ?
  • जातीय गणना कराने का उद्देश्य क्या है ?
  • क्या जातीय गणना को लेकर कोई कानून भी बनाया गया है ?

कोर्ट में सरकार की दलील

सरकार की तरफ से कोर्ट में दलील देते हुए महाधिवक्ता पीके शाही ने कहा कि जन कल्याण की योजनाओं के लिए ये गणना कराया जा रहा है। और जातीय गणना का फैसला बिहार के दोनों सदन बिहार विधानसभा और विधानपरिषद से प्रस्ताव पारित होने के बाद लिया गया है। ये राज्य सरकार का नीतिगत फैसला है। और इसके लिए बजट में प्रावधान किया गया है। वहीँ इस गणना से सरकार को गरीबों के लिए योजना बनाने में आसानी होगी।

दाखिल की गई थी याचिका

आपको बता दें कि जातीय गणना कराने को लेकर सरकार के फैसले को कोर्ट में चुनौती दी गई थी। कोर्ट में याचिका दाखिल कर इस पर रोक लगाने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार के पास जातियों की गिनती करने का अधिकार नहीं है। सरकार का यह फैसला संविधान का उल्लंघन कर रही है। याचिका में ये भी कहा गया है कि सरकार जातिगत गणना में लोगों की जाति के साथ-साथ उनके कामकाज और योग्यता की भी जानकारी मांग रही है। जो उनके गोपनीयता के अधिकार का हनन है।

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