पटना। बिहार की पटना हाईकोर्ट के एक फैसले के बाद बिहार का पकड़ुआ विवाह (जबरन कराई जाने शादी) चर्चा में है। दरअसल, पटना हाईकोर्ट की डबल बेंच ने शादी को लेकर आपसी सहमति पर जोर दिया। यहां पकड़ुआ विवाह के एक मामले को रद्द करते हुए कोर्ट ने कहा, सिर्फ मांग में सिंदूर भर देना […]
पटना। बिहार की पटना हाईकोर्ट के एक फैसले के बाद बिहार का पकड़ुआ विवाह (जबरन कराई जाने शादी) चर्चा में है। दरअसल, पटना हाईकोर्ट की डबल बेंच ने शादी को लेकर आपसी सहमति पर जोर दिया। यहां पकड़ुआ विवाह के एक मामले को रद्द करते हुए कोर्ट ने कहा, सिर्फ मांग में सिंदूर भर देना शादी नहीं माना जाता। बता दें कि बिहार में पकड़ुआ विवाह के बढ़ते मामले के बीच हाईकोर्ट का यह फैसला काफी अहम बताया जा रहा है।
गौरतलब है कि 1970 के आसपास यह विवाह प्रचलन में आया था। यह पकड़ुआ विवाह 90 दशक में काफी फला-फूला। यही नहीं पिछले कुछ वर्षों में भी पकड़ुआ विवाह के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है। वहीं स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक बिहार में जबरन शादी करवाने के 2020 में 7,194 मामले, 2019 में 10,295 मामले, 2018 में 10,310 मामले और 2017 में 8,927 मामले सामने आए हैं। हालांकि, इसमें से अधिकांश मामले आपसी सहमति से निपटा लिए गए। जबकि, बिहार पुलिस मुख्यालय के मुताबिक 2020 में पकड़ुआ विवाह के 33 और 2021 में 14 मामले दर्ज हुए हैं। इस दौरान बिहार के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक पकड़ुआ विवाह के उन्हीं मामलों को केस के रूप में दर्ज किया जाता है, जिसमें समझौते की गुंजाइश बिल्कुल नहीं होती।
दरअसल, 1961 में भारत में दहेज कानून बनाया गया, जिसमें दहेज के लेन-देन को अपराध की श्रेणी में रखा गया। जिसके बाद बिहार के गंगा बेल्ट के कई हिस्सों से पकड़ौआ विवाह के मामले सामने आने लगे। हालांकि, अभी भी पटना, बेगूसराय, मोकामा और नवादा पकड़ुआ विवाह का केंद्र बना हुआ है। जानकारों का कहना है कि पकड़ुआ विवाह के शुरू होने की एक बड़ी वजह दहेज था। उन्होंने बताया कि जब शुरुआत में लड़की वाले दहेज नहीं दे पाते थे, तब वे शादी के इस तरीके को अपनाते थे। वहीं उसके बाद यह शादी ऑर्गेनाइज तरीके से होने लगी। जबकि, पुलिस सूत्रों के मुताबिक इस काम को बकायदा सांगठनिक तरीके से अंजाम दिया जाता है। बिहार के गंगा बेल्ट में अभी भी कई गैंग सक्रिय हैं, जो पकड़ुआ विवाह को पूर्ण करवाने का जिम्मा लेते हैं।
इस पकड़ुआ विवाह में सबसे पहले लड़के का अपहरण कर लिया जाता है। उसे कुछ दिन के लिए किसी अनजान जगह पर रखा जाता है। वहीं मुहूर्त के दिन लड़के की शादी पंडित द्वारा विधान से करवाई जाती है। शादी के बाद दुल्हन को दुल्हे के घर भेज देते हैं।