पटना: बिहार में 20 अगस्त से जमीन सर्वे शुरूआत हो रही है। यह भूमि सर्वे बिहार के 45 हजार से ज्यादा गांवों में होना है। नीतीश सरकार ने सर्वे की पूरी तैयारी कर ली है कि जमीन से संबंधित विवादों को समाप्त किया जाए। सही जमीन उसके सही हकदार को मिल पाए। इस सर्वे को […]
पटना: बिहार में 20 अगस्त से जमीन सर्वे शुरूआत हो रही है। यह भूमि सर्वे बिहार के 45 हजार से ज्यादा गांवों में होना है। नीतीश सरकार ने सर्वे की पूरी तैयारी कर ली है कि जमीन से संबंधित विवादों को समाप्त किया जाए। सही जमीन उसके सही हकदार को मिल पाए। इस सर्वे को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे होंगे। किसी के पास जमीन से संबंधित कागजात नहीं हैं तो किसी के पास कोई और समस्या है। जानिए जमीन सर्वे से जुड़े कुछ अहम सवालों के जवाब
आइए बताते है जिसका कोई अधिकारिक मालिक नहीं है। जमीन खास है और खतियान में उनका मालिकाना हक है एवं उस जमीन पर उनका कब्जा किया हुआ है। सरकार उस जमीन को भी सर्वे में लेगी । ऐसे जमीन मालिकों को कोई परेशानी नहीं होगी। जमीन उनकी ही रहेगी। साल 1934 पहले जो जमीन जमीदारों से खरीदी गई थी या जो जमीन आज भी जमींदार के नाम से है और उन पर उनका मालिकाना हक है और बेलगान है वह उन्हीं की रहेगी। हालांकि जो गैरमजरूआ आम जमीन जिसे सरकारी जमीन कहा जाता है उस जमीन पर जिनका मालिकाना हक है उस जमीन को सरकार अपने कब्जे में ले लेगी, क्योंकि वह पूरी तरह सरकार की जमीन होती है।
विशेषज्ञ का कहना है कि उनकी जमीन के दस्तावेज निकाले जाएंगे। उनके पास मान लिया जाए कि कागज नहीं, लेकिन आसपास वालों के पास तो जमीन के कागज होंगे। कही नहीं तो चौहद्दी में तो नाम होगा। उस कागज के आधार पर आपकी जमीन के दस्तावेज निकाले जाएंगे। इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात है कि उस जमीन पर आपका कब्जा है या नहीं, अगर जमीन पर आपका कब्जा है और वह जमीन आपकी है तो कागज नहीं होना बहुत बड़ी बात नहीं है। वर्तमान समय में जो जमीन की स्थिति है और जिसके नाम से जमीन है वह सर्वे में वही स्थिति दर्ज की जाएगी, लेकिन जो सर्वे करेंगे वह यह लिखेंगे कि इसका मामला कोर्ट में जारी है। इस पर किसका दावा है यह तो कोर्ट के निर्णय के बाद ही पता चलेगा।