पटना। भारत के चंद्रयान 3 मिशन ने इतिहास रचते हुए चांद पर जीत हासिल कर ली है। भारत के लिए अब दक्षिणी ध्रुव अनजान नहीं रह गया है। 140 करोड़ भारतीयों की दुआएं कबूल हो गयी और भारत ने चांद पर अपना नाम सुनहरे अक्षरों में लिख दिया। हिंदुस्तान ने दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग […]
पटना। भारत के चंद्रयान 3 मिशन ने इतिहास रचते हुए चांद पर जीत हासिल कर ली है। भारत के लिए अब दक्षिणी ध्रुव अनजान नहीं रह गया है। 140 करोड़ भारतीयों की दुआएं कबूल हो गयी और भारत ने चांद पर अपना नाम सुनहरे अक्षरों में लिख दिया। हिंदुस्तान ने दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग कर ली है। यह अद्भुत पल हर भारतीयों को गर्वित करने वाला है। पूरे भारत में कई दिनों से मिशन की सफलता के लिए पूजा-पाठ किया जा रहा, प्रार्थनाओं ने अपना असर दिखाया और चांद पर हिंदुस्तान पहुंच गया।
दक्षिणी ध्रुव पर कदम रखने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन गया है। बता दें कि दक्षिणी ध्रुव पर अमेरिका, रूस और चीन समेत कई महाशक्तियों की नजरें हैं। चीन ने कुछ समय पहले दक्षिणी ध्रुव से कुछ दूर पर अपना लैंडर उतारा था। जबकि अमेरिका अगले साल दक्षिणी ध्रुव पर अंतरिक्ष यात्रियों को भेजने की तैयारी में है। बता दें कि चांद का दक्षिणी ध्रुव वैसा ही है जैसा पृथ्वी का है। पृथ्वी के दक्षिणी ध्रुव की तरह चांद का दक्षिणी ध्रुव सबसे ठंडा है। अगर यहां आकर कोई अंतरिक्ष यात्री खड़ा हो जाता है तो उसे सूर्य क्षितिज रेखा (आकाश और धरती को जोड़ती हुई नज़र आये) पर दिखेगा। उसे यहां से सूर्य और चमकता हुआ नजर आएगा। ऐसा अंदाजा लगाया जाता है कि हमेशा छाया और कम तापमान में होने के कारण यहां पर पानी और खनिज हो सकता है।
नासा की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ है। इसके अलावा दूसरे प्राकृतिक संसाधन भी हो सकते हैं। यहां पर बड़े-बड़े पहाड़ और गड्ढे है। सूरज की रोशनी भी कम मात्रा में पहुंचती है। 1998 के एक मून मिशन ने पता लगाया था कि दक्षिणी ध्रुव पर हइड्रोजन की भी मौजूदगी है। यहां पर कई ऐसे गड्ढे हैं जो अरबों सालों से अंधेरे में हैं वहां तक सूर्य की रोशनी कभी जा ही नहीं सकी।