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स्वास्थ्य मंत्रालय का आदेश, अस्पताल में डॉक्टरों पर हमला करना पड़ेगा भारी, 6 घंटे में दर्ज कराना होगा मुक़दमा

पटना : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक नोटिस जारी करते हुए कहा है कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों और अन्य हेल्थ वर्कर के खिलाफ हिंसा आम हो चुकी है। कई हेल्थ वर्कर अपनी ड्यूटी के दौरान शारीरिक हिंसा का शिकार होते हैं। कई लोगों को धमकाया जाता है या उनकर मौखिक हमला किया जाता है। […]

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  • August 16, 2024 8:50 am IST, Updated 11 months ago

पटना : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक नोटिस जारी करते हुए कहा है कि सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों और अन्य हेल्थ वर्कर के खिलाफ हिंसा आम हो चुकी है। कई हेल्थ वर्कर अपनी ड्यूटी के दौरान शारीरिक हिंसा का शिकार होते हैं। कई लोगों को धमकाया जाता है या उनकर मौखिक हमला किया जाता है। इसको देखते हुए यह फैसला लिया गया है कि ड्यूटी के दौरान किसी भी हेल्थ वर्कर के खिलाफ किसी भी प्रकार की हिंसा, अत्याचार की स्थिति में संस्थान के चीफ को घटना के 6 घंटे के अंदर संस्थागत मामला दर्ज करने की जिम्मेदारी है।

6 घंटे के भीतर एफआईआर दर्ज

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ किसी भी तरह की हिंसा के मामले में घटना के 6 घंटे के भीतर एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो मेडिकल कॉलेज के हेड पर भी कार्रवाई हो सकती है. हड़ताली डॉक्टरों की मुख्य मांग थी कि केंद्र सरकार उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक कानून पारित करे.

ममता बनर्जी ने कहा दवाएं लूट ली गईं

प्रदर्शनकारी डॉक्टर का कहना है कि रेप मर्डर मामले में दोषियों को कड़ी सजा मिले और कार्यस्थल पर सुरक्षा बढ़ाई जाए. सरकारी आरजीके मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में हुई तोड़फोड़ और हिंसा पर विपक्षी दलों ने पुलिस पर उचित कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाया है. वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार शाम को कहा था कि अस्पताल के आपातकालीन वार्ड की दो मंजिलों में तोड़फोड़ की गई, दवाएं लूट ली गईं और बुनियादी ढांचे और उपकरणों को नुकसान पहुंचाया गया।


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