पटना। बिहार में नीतीश के पाला बदलने और एनडीए में शामिल होने के बाद गठबंधन को बड़ी चोट लगी है। जिसके बाद प्रदेश में राजनीति गर्म है वहीं दूसरी तरफ फ्लोर टेस्ट की मांग चल रही है। बता दें, फ्लोर टेस्ट एक ऐसा प्रस्ताव है जिसके जरिए यह जाना जाता है कि मौजूदा सरकार के […]
पटना। बिहार में नीतीश के पाला बदलने और एनडीए में शामिल होने के बाद गठबंधन को बड़ी चोट लगी है। जिसके बाद प्रदेश में राजनीति गर्म है वहीं दूसरी तरफ फ्लोर टेस्ट की मांग चल रही है। बता दें, फ्लोर टेस्ट एक ऐसा प्रस्ताव है जिसके जरिए यह जाना जाता है कि मौजूदा सरकार के पास बहुमत है या नहीं। यानी सरकार को विधायिका का समर्थन प्राप्त है कि नहीं।
बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में 15 दिन पहले गठित NDA सरकार के विश्वासमत की आज अग्निपरीक्षा है। नीतीश सरकार को बिहार विधानसभा में FLOOR TEST पास करना होगा। जिसके समर्थन और खिलाफ में विधायक मतदान करेंगे। फ्लोर टेस्ट को लेकर सत्ता तथा विरोधी खेमा दोनों ओर से विधायकों को एकजुट रखने की कवायद चरम पर रही। तेजस्वी यादव के आवास पर आरजेडी और माले के सभी विधायक मौजूद है। और साथ ही विधानसभा के लिए रवाना होंगे। वहीं जेडीयू के सभी विधायक होटल चाणक्या में मौजूद है। जहां JDU विधानमंडल दल की बैठक चल रही है। वहीं कांग्रेस के सभी विधायक अजीत शर्मा के घर पर मौजूद हैं। और वहीं से विधानसभा के लिए रवाना होंगे। BJP के सभी विधायक पटना के होटल पाटलिपुत्र एग्जॉटिका में ठहरे हैं। और वहीं से विधानसभा के लिए जाएंगे। सियासी गहमागहमी के बीच रविवार की देर रात पुलिस की भी इंट्री हो गई। शिवहर के RJD विधायक चेतन आनंद से संपर्क नहीं होने पर उनके भाई अंशुमन आनंद ने पाटलिपुत्र थाने में सनहा दर्ज कराया। इसके बाद चेतन आनंद को ढूंढते हुए पटना के प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद के देशरत्न मार्ग स्थित आवास पर पहुंचे। चेतन आदंन से बात करने के बाद अधिकारी वहां से लौट गए।
जब किसी एक दल को विधानसभा में बहुमत प्राप्त होता है तो राज्यपाल उस दल के नेता को सीएम नियुक्त करता है। यदि बहुमत पर सवाल उठाया जाता है, तो बहुमत का दावा करने वाले पार्टी के नेता को विधानसभा में विश्वास मत देना होगा और उपस्थित और मतदान करने वालों के बीच बहुमत साबित करना होगा। विधानसभा में बहुमत साबित करने में विफल रहने पर सीएम को इस्तीफा देना पड़ता है।
अगर मामला किसी राज्य का है तो फ्लोर टेस्ट उस राज्य विधानसभा के अध्यक्ष कराते हैं। राज्यपाल सिर्फ आदेश देते हैं। फ्लोर टेस्ट में राज्यपाल का किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं होता है। फ्लोर टेस्ट एक पारदर्शी प्रक्रिया है, जिसमें विधायक विधानसभा में पेश होकर अपना VOTE देते हैं।