धनबाद। बोकारो स्टील प्लांट में काम करने वाले पिंटू को मंगलवार की शाम अचानक बेटे का फोन आता है। उधर से बेटा कहता है कि पापा आग लग गई है, जल्दी आइए। इतना सुनते ही पिंटू घबरा जाते है और जल्दबाजी में साढ़े 8 बजे धनबाद पहुंचते है। वहां पहुंचने के बाद देखते है कि […]
धनबाद। बोकारो स्टील प्लांट में काम करने वाले पिंटू को मंगलवार की शाम अचानक बेटे का फोन आता है। उधर से बेटा कहता है कि पापा आग लग गई है, जल्दी आइए। इतना सुनते ही पिंटू घबरा जाते है और जल्दबाजी में साढ़े 8 बजे धनबाद पहुंचते है। वहां पहुंचने के बाद देखते है कि आग लगी हुई है। वो अपने बेटे अमन और पत्नी सविता को ढूंढने लगते है। जहां आग लगी हुई थीं, वहां पहुंचने की पूरी कोशिश करते हैं लेकिन सफल नहीं हो पाते और खबर मिलती हैं कि उनकी पत्नी और बेटा दोनों इस दुनिया में नहीं रहे
किसी तरह रात गुजारने के बाद वो सुबह-सुबह भागते हुए एनएमएमसीएच पहुंचे लेकिन वहां उन्हें उनकी पत्नी और बेटे का शव तक नहीं देखने दिया गया। पिंटू का कहना है कि अगर समय पर रेस्क्यू टीम पहुंच जाती तो इतना बड़ा हादसा नहीं होता। लोगों की जान बचाई जा सकती थीं।
वहीं दुल्हन स्वाति के सुबोध श्रीवास्तव का कहना है कि उनके लिए तो खुशी का दिन था, बेटी अपने घर चली जाती लेकिन खुशी का पल मातम में बदल गया। क्या करूंगा अब मैं जी कर? किसके लिए जीना है अब? अब कुछ बचा ही नहीं हैं, सबकुछ खत्म हो गया। पिता का साया उठ गया, पत्नी का साथ छूट गया, मेरे लिए अब बचा ही क्या है? बेसुध हालत में सुबोध आगे कह रहे थें कि भगवान इतने कठोर कैसे हो गए? कौन सी गलती की थी कि इतनी बड़ी सजा मिली।