पटना। हाईकोर्ट के जजों के बकाया वेतन जारी करने और न्यायिक अधिकारियों के लिए पेंशन निर्धारित करने के मुद्दे से संबंधित मामलों की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को कड़े निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘बिहार सरकार के वर्तमान जज न्यायाधीश आर.पी. मिश्रा का वेतन तुरंत उन्हें दिया जाए, जिनका हाईकोर्ट में प्रमोशन के बाद से सैलरी बाकी है।’
बिना वेतन के काम की उम्मीद कैसे?
सुनवाई चीफ जस्टिस ने की
अदालत ने यह भी निर्देश दिए कि ‘किसी भी जज से वेतन के बिना काम करने की उम्मीद नहीं की जा सकती है।’इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी.वाई चंद्रचूड़, न्यायाधीश जे.बी पारदीवाला और न्यायाधीश मनोज मिश्रा की पीठ कर रही थी। इस दौरान गंभीरता से विचार करते हुए सीजेआई ने पटना हाईकोर्ट को फटकार लगाई। उन्होंने कहा, ‘जस्टिस आरपी मिश्रा का वेतन अभी तक उन्हें क्यों नहीं दिया गया? वे उन्हें वेतन देने से मना क्यों कर रहे हैं?
अन्य जजों की तरह सेवाएं प्राप्त करेंगे
सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि उनके जैसे लोग हाईकोर्ट में नियुक्त होने पर अन्य सभी हाईकोर्ट जजों की तरह सेवाएं प्राप्त करेंगे। सुनवाई के दौरान पीठ ने यह भी कहा, ‘अगर जस्टिस मिश्रा जिला न्यायपालिका में कार्यरत रहते हुए नई पेंशन योजना के तहत शासित थे, लेकिन हाईकोर्ट में प्रमोशन होने पर वे दूसरे हाईकोर्ट न्यायाधीशों के बराबर सेवा शर्तों के अधीन शासित होंगे। जज को सेवा देने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार को जस्टिस मिश्रा का वेतन बकाया राशि के साथ जारी करने का निर्देश दिया।
7 जजों का वेतन जारी करने के निर्देश
सुनवाई के दौरान न्यायालय को याद दिलाया गया कि जस्टिस रुद्र प्रकाश मिश्रा को नवंबर 2023 में उच्च न्यायिक सेवाओं से हाईकोर्ट में प्रमोशन के बाद से अभी तक जीपीएफ नहीं दिया गया। हालांकि उन्होंने सभी औपचारिकताओं को पूर्ण कर लिया है। जज को प्रमोशन के बाद से अब तक वेतन नहीं मिला है। साल 2023 के मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने इसी तरह के अंतरिम उपाय में पटना हाईकोर्ट के 7 जजों के वेतन को जारी करने का निर्देश दिया था, जो उनके जीपीएफ अकाउंट बंद करने के बाद से रोके गए थे।