पटना। बिहार में सियासी सरगर्मी बढ़ी हुई है। प्रदेश में इस समय आरोप और प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। बता दें कि बिहार में बढ़ाई गई आरक्षण की सीमा के खिलाफ पटना हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। जिस पर बिहार में राजनीति शुरू हो गई है। इस बीच जेडीयू नेता और […]
पटना। बिहार में सियासी सरगर्मी बढ़ी हुई है। प्रदेश में इस समय आरोप और प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है। बता दें कि बिहार में बढ़ाई गई आरक्षण की सीमा के खिलाफ पटना हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। जिस पर बिहार में राजनीति शुरू हो गई है। इस बीच जेडीयू नेता और मंत्री अशोक चौधरी ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि यह तो पता ही था कि होगा। अब इस पर बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने सोमवार को बयान जारी करते हुए दो पार्टियों पर साजिश करने का आरोप लगाया।
सुशील कुमार मोदी ने कहा कि बीजेपी ने बिहार में जाति आधारित सर्वे कराने से लेकर आरक्षण की सीमा बढ़ाने वाले विधेयक तक हर स्तर पर समर्थन किया, लेकिन पार्टी को बदनाम करने की साजिश के तहत आरजेडी-कांग्रेस ने आरक्षण सीमा बढ़ाने के विरुद्ध हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर करा दी। जिसका नतीजा सबको पता है। देश पर 55 साल राज करने वाली कांग्रेस ने काका कालेलकर समिति से मंडल आयोग तक हमेशा पिछड़ों-दलितों के आरक्षण का विरोध किया। आरजेडी ने 2001 में पिछड़ों को आरक्षण दिए बिना बिहार में पंचायत चुनाव कराए थे। पंचायतों में पिछड़ों को आरक्षण तब मिला, जब बीजेपी और सहयोगी दलों की सरकार बनी। सुशील मोदी ने कहा कि जब बिहार की कर्पूरी ठाकुर सरकार ने पिछड़े वर्गों को पहली बार नौकरी में 27 प्रतिशत आरक्षण दिया था।
इस दौरान प्रधानमंत्री का नाम लेते हुए सुशील मोदी ने कहा कि पिछड़े-गरीब परिवार से आने वाले पीएम नरेंद्र मोदी ने सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 फीसदी आरक्षण देने के लिए आरक्षण को 50 फीसदी की अधिकतम सीमा तक तोड़ कर जो रास्ता दिखाया, बिहार सरकार ने उसी का अनुसरण किया। आरजेडी-कांग्रेस गरीब, पिछड़े और वंचित वर्गों के साथ खड़ी बीजेपी को बर्दाश्त नहीं कर पाते इसलिए वो कोर्ट-कचहरी के जरिए राजनीति करते हैं।
वहीं जेडीयू के भीम संसद कार्यक्रम को लेकर सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार का यह कहना सही है कि 2005 के पहले दलितों पर ध्यान नहीं दिया जाता था। आरजेडी सरकार के समय लक्ष्मणपुर बाथे, बथानी टोला जैसे दर्जन भर बड़े नरसंहार हुए लेकिन आज आरजेडी दलितों की हितैषी बन रहा है और खूनी इतिहास को भुलाना चाहती है।