पटना। बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र (Bihar Vidhan Sabha Winter Session ) आज सोमवार से शुरू हो चुका है। बता दें कि यह सत्र 6 – 10 नवंबर तक चलेगा। बिहार की जाति आधारित जनगणना रिपोर्ट कल यानी 7 नवंबर को विधानसभा के दोनों सदनों में पेश की जाएगी। यह निर्णय दोनों सदनों की कार्य […]
पटना। बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र (Bihar Vidhan Sabha Winter Session ) आज सोमवार से शुरू हो चुका है। बता दें कि यह सत्र 6 – 10 नवंबर तक चलेगा। बिहार की जाति आधारित जनगणना रिपोर्ट कल यानी 7 नवंबर को विधानसभा के दोनों सदनों में पेश की जाएगी। यह निर्णय दोनों सदनों की कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में लिया गया है। वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने लंच के बाद इस मुद्दे पर डिबेट की मांग की है। जिस पर संसदीय और वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी का कहना है कि सरकार सदन के सदस्यों की राय पर विचार करेगी।
बता दें कि जाति आधारित जनगणना कि रिपोर्ट को लेकर बिहार में सियासत चरम पर है। वहीं बीजेपी लगातार जाति आधारित जनगणना को लेकर धांधली और भेदभाव के आरोप लगाती आई है। वहीं रविवार को मुजफ्फरपुर की रैली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने जाति आधारित जनगणना की रिपोर्ट को छलावा करार दिया था। उन्होंने कहा था कि राजद सुप्रीमो लालू यादव के दबाव में यादवों और मुस्लिमों की आबादी बढ़ाकर दिखाई गई है। जो अति पिछड़ा और पिछड़ा वर्ग के साथ अन्याय है। यही नहीं अमित शाह ने कहा कि जाति आधारित जनगणना का फैसला उस वक्त का है जब बिहार एनडीए गठबंधन की सरकार थी, लेकिन जातीय जनगणना में बिहार के लोगों के साथ धोखा हुआ है।
दरअसल, बीजेपी जाति आधारित जनगणना कि रिपोर्ट पर लगातार नीतीश सरकार पर निशाना साधती आई है। यही नहीं हाल ही में संपन्न हुई सर्वदलीय बैठक में एनडीए के सहयोगी और हम के संस्थापक जीतन राम मांझी ने भी जाति आधारित जनगणना में उपजाति को लेकर सवाल खड़े करते हुए कहा था कि कैसे यादवों की संख्या इतनी तेजी से बढ़ गई और बाकी जातियों की संख्या कम हो गई। वहीं बीजेपी के सांसद सुशील मोदी ने भी कई जातियों के उपजाति में शामिल होने पर आपत्ति जताई थी। अब ऐसे में 7 नवंबर को सदन में पेश होने वाली जाति आधारित जनणना कि रिपोर्ट पर हंगामा होना तय है।