पटना। बिहार शिक्षा विभाग के द्वारा लगातार नए-नए फरमान जारी किए जाने से बिहार के शिक्षकों में नाराजगी देखी जा रही है। वहीं अब केके पाठक के एक और नए फरमान को शिक्षक संघ ने मौलिक अधिकारों का उल्लंघन माना है। इस मामले को लेकर संघ, भारत के राष्ट्रपति और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को […]
पटना। बिहार शिक्षा विभाग के द्वारा लगातार नए-नए फरमान जारी किए जाने से बिहार के शिक्षकों में नाराजगी देखी जा रही है। वहीं अब केके पाठक के एक और नए फरमान को शिक्षक संघ ने मौलिक अधिकारों का उल्लंघन माना है। इस मामले को लेकर संघ, भारत के राष्ट्रपति और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को पत्र लिखने की तैयारी में है।
दरअसल, प्राथमिक शिक्षक संघ के कार्यकारी अध्यक्ष मनोज कुमार का मानना है कि यह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है और ऐसे में वह अपने मौलिक अधिकार की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। उन्होंने कहा कि इससे पहले भी सरकार से कई पत्राचार संघ और संगठन के होते रहे हैं। ऐसे में केके पाठक कैसे कह रहे हैं कि संघ बनाने का अधिकार नहीं है जो बनाएगा उसे पर कार्रवाई होगी। जबकि साल 1949 से हमारा संगठन रजिस्टर्ड है।
वहीं स्कूलों में छुट्टियों का कैलेंडर जारी होने और स्कूल की अवधि का समय बढ़ाए जाने पर मनोज कुमार ने कहा कि यह कैसे संभव है। इसमें पहली और दूसरी कक्षा के छात्रों को जितना समय पढ़ाया जाएगा, उतना समय 10वीं और 12वीं के छात्रों को। वहीं मनोज कुमार ने यह भी कहा कि इससे पहले प्राथमिक विद्यालयों और माध्यमिक विद्यालयों के लिए अलग-अलग अवकाश तालिका बनाई जाती थी। बच्चों को 8 घंटे तक स्कूल में रोक पाना काफी मुश्किल है। ऐसे में सरकार को प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च माध्यमिक के लिए अलग-अलग अवकाश तालिका जारी करनी चाहिए। कक्षा एक का बच्चा और 12वीं का बच्चा बराबर पढ़ेगा क्या यह व्यावहारिक है?
बता दें कि बिहार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक इन दिनों काफी एक्शन में नजर आ रहे हैं। शिक्षा विभाग ने पत्र जारी करते हुए निर्देश दिया है कि सरकार ने किसी शिक्षक संघ को मान्यता नहीं दी है। वहीं पत्र के अनुसार, ऐसे में कोई भी शिक्षक संघ का निर्माण नहीं करेंगे, न ही किसी संघ से जुड़ेंगे। अगर कोई शिक्षक ऐसा करता है तो उनके खिलाफ कड़ी अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी।