बिहार: डेढ़ घंटे तक आईसीयू में तड़पते रहे अश्विनी चौबे के भाई, नहीं मिला इलाज के लिए कोई डॉक्टर।

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पटना। केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के छोटे भाई निर्मल चौबे की मौत ने बिहार के अस्पतलों की पोल खोल दी हैं. निर्मल चौबे की मौत भागलपुर के मायागंज अस्पताल में शुक्रवार को हो गयी, लेकिन उनके मौत के बाद हंगामा बरपा हुआ हैं. परिजन अस्पताल प्रशासन पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगा रहे हैं. इस मामले में उन्होंने अस्पताल में जमकर हंगामा भी किया. जिसके बाद अस्पताल प्रशासन ने जल्दी-जल्दी में दो डॉक्टर को सस्पेंड कर दिया. बता दें कि जेएलएनएमसीएच भागलपुर का सबसे बड़ा अस्पताल में है और वहां डॉक्टर के अभाव में किसी बड़े नेता के भाई की मौत हो जाना बिहार के स्वास्थ्य व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करता हैं।

डेढ़ घंटे तक आईसीयू में छटपटाते रहे निर्मल चौबे

गौरतलब हैं कि अश्विनी चौबे के छोटे भाई निर्मल चौबे को हार्ट अटैक की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां उनकी मौत हो गई. वे वायुसेना से रिटायर्ड थें. मामले की जानकारी देते हुए निर्मल चौबे के बेटे नीतीश चौबे ने बताया की उनके पिता को शाम 4 बजे के करीब सीने में दर्द और सांस लेने में तकलीफ शुरू हुई. जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाकर डॉक्टर एम.एन झा की यूनिट में शिफ्ट किया गया लेकिन वहां तत्काल में कोई डॉक्टर नहीं था, जिसके बाद दूसरे डॉक्टर ने उनकी हालत गंभीर बताते हुए आईसीयू में शिफ्ट कर दिया. वहां भी कोई डॉक्टर नहीं था. यहां तक की अटेंडेंट को बीपी मशीन तक के बारे में जानकारी नहीं थी. उनके पिता डेढ़ घंटे तक आईसीयू में तड़पते रहे लेकिन कोई डॉक्टर इलाज करने नहीं आया.

अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप

शाम 6 बजे के करीब निर्मल चौबे की मौत हो गयी. जिसके बाद अस्पातल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए परिजन हंगामा करने लगे. इमरजेंसी इंचार्ज डॉक्टर महेश और मायागंज अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर असीम कुमार दास को लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा.

आईसीयू में नहीं था कोई डॉक्टर

सूचना मिलते ही पुलिस अस्पताल पहुंची और शिकायत मिलने पर क़ानूनी कार्रवाई करने का आश्वाशन दिया. मौके पर पहुंचे डीजीपी ने कहा कि लिखित शिकायत करने के बाद पूरे मामले की जांच की जायेगी, साथ ही दोषियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जायेगी. वहीं अस्पताल अधीक्षक ने ड्यूटी से गायब रहने वाले दोनो डॉक्टरों को सस्पेंड कर दिया. अस्पताल अधीक्षक ने लिखित में स्वीकार किया कि आईसीयू में कोई डॉक्टर नही था.उसके बाद रात नौ बजे परिजन लाश लेकर गए.