पटना। सोमवार को गांधी जयंती के दिन बिहार सरकार ने जाति आधारित गणना कि रिपोर्ट जारी की थी। बताया जा रहा है कि अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया है। 6 अक्टूबर को होगी मामले की सुनवाई बिहार में जाति आधारित सर्वे मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने रखा गया है। कोर्ट ने 6 […]
पटना। सोमवार को गांधी जयंती के दिन बिहार सरकार ने जाति आधारित गणना कि रिपोर्ट जारी की थी। बताया जा रहा है कि अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चला गया है।
बिहार में जाति आधारित सर्वे मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने रखा गया है। कोर्ट ने 6 अक्टूबर को सुनवाई की बात कही है। यह मामला पहले से सुप्रीम कोर्ट में चल रहा था। बता दें कि कोर्ट ने सर्वे के आंकड़े जारी करने पर कोई रोक नहीं लगाई। कोर्ट का कहना था कि वह रोक का आदेश विस्तृत सुनवाई के बाद ही देगा। दरअसल, इस मामले की सुनवाई आज मंगलवार को होनी थी और याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि बिहार सरकार ने जाति सर्वे के आंकड़े जारी कर दिए हैं। अब कोर्ट शुक्रवार (06 अक्टूबर) को इस मामले की सुनवाई करेगा।
जाति आधारित गणना की रिपोर्ट के अनुसार बिहार में सबसे अधिक हिंदुओं की संख्या पाई गई है। बता दें की इसमें में 81.99 प्रतिशत हिंदू हैं। हिंदुओं की संख्या 10 करोड़ 71 लाख 92 हजार 958 है। वहीं बिहार में मुस्लिम की संख्या 17.7% यानी 2 करोड़ 31 लाख 49 हजार 925 है। इसके अलावा ईसाई की संख्या 75238, सिख की संख्या 14753, बौद्ध की संख्या 111201 और जैन की संख्या 12523 है यानी 1% से भी कम है। वहीं बिहार के जातीय गणना के आंकड़े के अनुसार कुल जनसंख्या का 63 प्रतिशत हिस्सा ओबीसी, ईबीसी हैं। आंकड़ों के अनुसार, राज्य की कुल जनसंख्या 13.07 करोड़ से कुछ अधिक है। इसमें अगर वर्गों की आबादी के बारे में बात करें तो सामान्य वर्ग – 15.52%,पिछड़ा वर्ग- 27.12%,अति पिछड़ा वर्ग – 36.1%,अनूसूचित जाति- 19.65% और अनूसचित जनजाति – 1.68% है। वहीं अगर बात करें कि किस में कितनी आबादी है तो ब्राह्मण- 3.67%, राजपूत- 3.45%, भूमिहार- 2.89%, कायस्थ – 0.60%, यादव – 14.26 %, कुरमी- 2.87%, तेली- 2.81%, मुसहर- 3.08% और सोनार-0.68% में हैं।
दरअसल, जाति जनगणना के आंकड़ों को जारी करने पर रोक लगाने के लिए पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इस मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बिहार सरकार के पक्ष में इसका फैसला सुनाया था और सरकार के इस कदम को कानूनी रूप से वैध बताया था। वहीं इसके बाद बिहार सरकार ने जाति गणना का कार्य शुरू कर दिया था। बताया जा रहा है कि पटना हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट पहुंचकर और रिपोर्ट को फिलहाल जारी नहीं करने का अनुरोध किया लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा करने से इनकार कर दिया था।