पटना। चित्रकूट के तुलसी पीठाधीश्वर स्वामी रामभद्राचार्य ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के जाति आधारित जनगणना के फैसले का विरोध किया है। स्वामी रामभद्राचार्य ने सीएम और डीप्टी सीएम को नसीहत भी दी है। उन्होंने कहा कि उन्हें जाति के आधार पर वोट नहीं मिलने वाला। जो राम और […]
पटना। चित्रकूट के तुलसी पीठाधीश्वर स्वामी रामभद्राचार्य ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के जाति आधारित जनगणना के फैसले का विरोध किया है। स्वामी रामभद्राचार्य ने सीएम और डीप्टी सीएम को नसीहत भी दी है। उन्होंने कहा कि उन्हें जाति के आधार पर वोट नहीं मिलने वाला। जो राम और कृष्ण की बात करेगा वही राज करेगा। यही नहीं स्वामी रामभद्राचार्य ने सीएम नीतीश और तेजस्वी यादव पर हिंदुओं को बांटने का भी आरोप लगाया है। बता दें कि तुलसी पीठाधीश्वर स्वामी रामभद्राचार्य ने यह बयान पश्चिम चंपारण के बगहा रामकथा के दौरान कही हैं।
दरअसल मंगलवार से रामनगर के अर्जुन विक्रम शाह स्टेडियम में स्वामी रामभद्राचार्य की रामकथा की शुरुआत हुई है। वहीं रिपोर्ट्स की मानें तो स्वामी रामभद्राचार्य ने अपने प्रवचन के दौरान सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि सीएम नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की जाति आधारित जनगणना की नीति हिंदुओं में भेद डालना है। इस दौरान स्वामी रामभद्राचार्य ने नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव पर तंज कसते हुए कहा कि इन लोगों को कौन समझाए कि हिंदुओं को जाति के आधार पर नहीं बांटना चाहिए।
यही नहीं स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि देश को जाति के आधार पर बांटने की नीति कभी सफल नहीं हो सकती। जाति के आधार पर वोट नहीं मिलेगा। अब काम करने वाले को ही वोट मिलेगा। इसके अलावा उन्होंने कहा कि जो राम-कृष्ण की बात करेगा वही भारत पर राज करेगा। फिलहाल इस चुनावी माहौल में स्वामी रामभद्राचार्य के इस बयान से बिहार की सियासी सरगर्मी और बढ़ गई है।
बता दें कि स्वामी रामभद्राचार्य ने अपने प्रवचन के दौरान यह भी कहा कि भगवान श्री राम हमारे आदर्श हैं। उन्होंने हज़ारों साल पहले जो आदर्श समाज में स्थापित किया था वह आज के लोगों के लिए भी अनुकरणीय है। स्वामी रामभद्राचार्य ने आगे कहा कि जब-जब धर्म पर संकट आता है तो भगवान अवतार लेते हैं। इस दौरान स्वामी ने रामचरितमानस और वेदों का ज़िक्र करते हुए कहा कि वेद कहीं भी कभी भी सनातन हिंदु धर्म में भेद नहीं करता। इसके अंतर्गत सभी लोग एक समान होते हैं।