पटना। शनिवार को जातिय जनगणना को लेकर पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार कांग्रेस सरकार पर जमकर हमलावर नज़र आए। इस दौरान उन्होंने नेहरु सरकार से लेकर यूपीए सरकार तक की बात कर डाली। पिछले चार सालों में जाति सर्वे क्यों नहीं कराया गया? पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी शनिवार जाति […]
पटना। शनिवार को जातिय जनगणना को लेकर पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार कांग्रेस सरकार पर जमकर हमलावर नज़र आए। इस दौरान उन्होंने नेहरु सरकार से लेकर यूपीए सरकार तक की बात कर डाली।
पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी शनिवार जाति जनगणना को लेकर कांग्रेस सरकार पर भड़कते नज़र आए। सुशील मोदी ने कहा कि पूरे देश में जाति जनगणना की बात करने वाले राहुल गांधी ये बताएं कि आज जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है, वहां पिछले चार सालों में जाति सर्वे क्यों नहीं कराया गया? सुशील मोदी ने यह भी सवाल उठाया कि उन्हें (राहुल गांधी) बताना चाहिए कि 2015 में कांग्रेस की सिद्धरमैया सरकार ने कर्नाटक में जो सर्वे करवाया था, उसकी रिपोर्ट अब तक जारी क्यों नहीं की गई है? उन्होंने कहा कि 2010 में यूपीए सरकार के गृहमंत्री पी. चिदम्बरम ने संसद में कहा था कि देश भर में जातीय जनगणना कराना व्यावहारिक कारणों से संभव नहीं है।पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस की पहली नेहरू सरकार ने 1951 में नीतिगत निर्णय लिया था कि राष्ट्रीय स्तर पर जनगणना के दौरान केवल अनुसूचित जन-जाति के आंकड़े जुटाएं जा सकते हैं। यहीं नहीं बाद की सभी केंद्र सरकारों ने यही नीति जारी रखी।
राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने कहा कि सेंसस एक्ट के अनुसार देश भर में जातीय जनगणना नहीं करायी जा सकती है लेकिन राज्य सरकार जातीय सर्वेक्षण करवा सकती हैं। उन्होंने कहा कि बिहार में बीजेपी की साझेदारी वाली सरकार ने जातीय सर्वे कराने का जो निर्णय किया, वह संवैधानिक था इसीलिए कोई अदालत उस पर रोक नहीं लगा सकी। बिहार में जातीय सर्वे का काम जब पूरा हो चुका है, तब सरकार बताएं की इसकी रिपोर्ट कब जारी होगी? विपक्षी गठबंधन में जातीय सर्वे पर कांग्रेस की नीयत साफ़ नहीं है और ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल में ऐसा सर्वे कराने के विरुद्ध हैं। राहुल गांधी पहले अपने गठबंधन में एक राय कायम करें।
बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने आगे कहा कि ब्रिटिश सरकार की 1931 की जातीय जनगणना के अनुसार देश में 3500 जातियां थीं। वहीं 2011 में जब जनगणना के साथ जातीय-सामाजिक सर्वे कराया गया, तब 46 लाख जातियां दर्ज करा दी गईं। सुशील मोदी ने तंज कसते हुए कहा कि जातियों के पिछले राष्ट्रीय सर्वे के आंकड़े बहुत ही भ्रामक, त्रुटिपूर्ण और अविश्वनीय थे इसीलिए उन्हें सार्वजनिक नहीं किया गया।