पटना। जन सुराज पदयात्रा के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा कि डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर निशाना साधते नज़र आए। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव को न भाषा का ज्ञान है न विषय का ज्ञान है, लेकिन तीखा टिप्पणी करनी होगी तो बैठ कर इजराइल और फिलिस्तीन पर करेंगे। तेजस्वी यादव पर बरसे प्रशांत किशोर […]
पटना। जन सुराज पदयात्रा के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा कि डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर निशाना साधते नज़र आए। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव को न भाषा का ज्ञान है न विषय का ज्ञान है, लेकिन तीखा टिप्पणी करनी होगी तो बैठ कर इजराइल और फिलिस्तीन पर करेंगे।
जन सुराज पदयात्रा के सूत्रधार एंव चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने सोमवार को अपना बयान जारी किया है। बता दें कि इस दौरान उन्होंने लालू यादव, राबड़ी देवी और उनके बेटे तेजस्वी यादव पर तंज कसते हुए कहा है कि तेजस्वी यादव जैसे नेता अगर देश को नई दिशा देने लगेंगे तो देश का कोई भला होने वाला नहीं है। इसके बावजूद तेजस्वी यादव को मेरी शुभकामनाएं हैं। उन्होंने कहा कि तेजस्वी के मां-बाप बिहार में मुख्यमंत्री रहे हैं और तेजस्वी यादव खुद उपमुख्यमंत्री हैं, बिहार को तो उन्होंने दिशाहीन कर दिया।
प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार की जनता ने अगर तेजस्वी यादव को जिम्मेदारी दी है तो कुछ नहीं तो वो जिन विभागों के मंत्री हैं उनकी दशा ठीक कर दें। बिहार में अस्पतालों की दशा सुधार दें, सड़कों की दशा सुधार दें और बिहार में ग्रामीण कार्य मंत्रालय में आने वाले नालियों-गलियों की दशा सुधार दें। प्रशांत किशोर ने कहा कि देश में तेजस्वी यादव द्वारा देश की दिशा और दशा की बात करना ठीक वैसा ही है जैसा अंग्रेजी में कहावत है कि Punching above your weight यानी उनके कद से बहुत बड़ी बात है। ऐसी बात करने वालों को बड़बोलापन कहा जाता है। बिहार में लोगों को इस चीज़ की बहुत आदत है।
यहीं नहीं तेजस्वी यादव पर हमला करते हुए प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि डिप्टी सीएम को न भाषा का ज्ञान है न विषय का ज्ञान है, लेकिन तीखी प्रतिक्रिया करनी हो तो वह बैठ कर इजराइल और फिलिस्तीन पर कर लेंगे। उन्होंने कहा कि बिहार में गरीब बच्चों के शरीर पर कपड़े नहीं हैं, खाना नहीं है, रोजगार नहीं है लेकिन ये तीखी प्रतिक्रिया दे रहे हैं कि गाजा में क्या हो रहा है? जन सूराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा कि यहां पर नेताओं को भी इसी की आदत लग गई है। यहां बेवकूफी को नेताओं ने जमीनी हकीकत मान लिया है। गलत बात करने वालों को समाज के लोग जमीनी नेता मानते हैं, जिसको न भाषा का ज्ञान है, न विषय का ज्ञान है। यहां अगर आदमी शर्ट के ऊपर गंजी पहन ले तो उसे जमीनी नेता समझा जाने लगता है।