पटना। बिहार के राजनीति में एक बार फिर से सियासी उछाल देखने को मिली है। नीतीश कुमार के इस्तीफे के बाद बिहार में सियासी सरगर्मी बढ़ती हुई नजर आ रही है. मुख्यमंत्री पद से नीतीश कुमार ने आज इस्तीफा दे दिया है. महागठबंधन से उन्होंने किनारा बना लिया है. अब बीजेपी के साथ मिलकर वे […]
पटना। बिहार के राजनीति में एक बार फिर से सियासी उछाल देखने को मिली है। नीतीश कुमार के इस्तीफे के बाद बिहार में सियासी सरगर्मी बढ़ती हुई नजर आ रही है. मुख्यमंत्री पद से नीतीश कुमार ने आज इस्तीफा दे दिया है. महागठबंधन से उन्होंने किनारा बना लिया है. अब बीजेपी के साथ मिलकर वे एक बार फिर से सरकार चलाएंगे. नीतीश कुमार 10 साल में बीजेपी का दूसरी बार दामन थामते नजर आ रहे हैं । लेकिन, इस सियासी संग्राम का असली खिलाड़ी का नाम सामने आया है. दरअसल, जेडीयू की तरफ से गठबंधन की दीवार संजय कुमार झा ही बीजेपी के साथ मिलाकर खड़ी करने में लगे थे.
नीतीश कुमार का करीबी संजय कुमार झा को माना जाता है. वर्त्तमान में वे जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव और कैबिनेट मंत्री है. एकलौते ऐसे नेता है संजय कुमार झा जो संगठन और सरकार दोनों में अपनी जगह बरकरार बनाए हुए है. जेडीयू का बीजेपी के साथ गठबंधन करने में संजय कुमार झा ने 2017 में अपना मुख्य भूमिका निभाया था. साल 2022 में जेडीयू सांसद ललन सिंह ने खुद इस बात का खुलासा किया था. वहीं जब नीतीश कुमार की बीजेपी के साथ गठबंधन की चर्चाएं इस बार हुई तो संजय कुमार झा को ही सबसे पहले मुख्यमंत्री आवास में बुलाया गया था. बता दें कि मधुबनी जिले के झंझारपुर के अररिया गांव में उनका जन्म हुआ था. स्वर्गीय जीबछ झा उनके पिता का नाम है. वहीं दिल्ली के इंकलाबी नेहरू विश्वविद्यालय से संजय कुमार झा ने 1989 में इतिहास में एम.डी. किया था.
अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत संजय कुमार झा ने बीजेपी से की थी. जिसके बाद वो जेडीयू में साल 2012 में शामिल हो गए थे. वे जेडीयू से 2014 में दरभंगा लोकसभा सीट से चुनाव लड़े लेकिन उस दौरान उनकी हार हुई थी. जिसके पश्चात् उन्हें राज्य कैबिनेट में मंत्री बनाया गया. मिथिलांचल में उन्हें एक ब्राह्मण समुदाय के बड़े चेहरे के रूप में भी देखा जाता है. बिहार राज्य योजना परिषद के वे सदस्य भी रह चुके हैं.