पटना। बिहार सरकार के अकाउंट से किसी तरह का कोई लेन-देन नहीं हो रहा है। इसका कारण यह है कि सरकार का अकाउंट फ्रीज हो गया है। जिस वजह से 8 लाख सरकारी कर्मचारियों की सैलरी अटक गई है। वहीं सीएम नीतीश कुमार, मंत्री और विधायक तक का बिल फंस गया है। दरअसल, सरकार ने […]
पटना। बिहार सरकार के अकाउंट से किसी तरह का कोई लेन-देन नहीं हो रहा है। इसका कारण यह है कि सरकार का अकाउंट फ्रीज हो गया है। जिस वजह से 8 लाख सरकारी कर्मचारियों की सैलरी अटक गई है। वहीं सीएम नीतीश कुमार, मंत्री और विधायक तक का बिल फंस गया है। दरअसल, सरकार ने 3 जनवरी को वेतन-बिल के भुगतान के लिए नया सॉफ्टवेयर लॉन्च किया।
लॉन्चिंग के साथ ही नई तकनीकी में पेंच आ गया, जो 20 दिन बाद भी ठीक नहीं हो पाया है। इससे सरकारी कर्मचारियों और नेताओं की सैलरी फंस गई है। बिहार सरकार का वित्तीय कामकाज CFMS (कंप्रिहेंसिव फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम) से किया जाता है। इसकी शुरुआत अप्रैल 2019 में हुई थी। पुराने होने की वजह से इससे अपग्रेड किया गया। इसका नया वर्जन लाया गया। जिसमें अब दिक्कत आ रही है। बताया जा रहा है कि CM नीतीश कुमार, डिप्टी CM सम्राट चौधरी, पर्यटन मंत्री नीतीश मिश्रा और श्रवण कुमार का बिल अटक गया है।
इसके साथ कई मंत्रियों का भी ट्रैवल बिल भी फंसा हुआ है। बिहार के कई सीनियर IAS, IPS अफसरों को ट्रैवल बिल भी नहीं मिला है। सॉफ्टवेयर में दिक्कत आने से बिहार के लगभग 3 लाख क्षेत्रीय कर्मचारियों, 5 लाख शिक्षकों और 50 हजार संविदा कर्मियों को दिसंबर का वेतन फंसा हुई है। हालांकि अफसरों और सचिवालय के कर्मचारियों को उनका वेतन मिल गया है।
वित्त विभाग ने दावा किया है कि नई व्यवस्था अगले 4 दिन में ठीक हो जाएगी। धीरे-धीरे सॉफ्टवेयर का अपग्रेड वर्जन सही से चलने लगेगा। मुख्य सचिव ने बेलट्रॉन को कड़ा निर्देश दिया है।
बेलट्रॉन सरकार का मुख्य डाटा सेंटर है। केंद्र सरकार की सख्ती के बाद बिहार सरकार ने 3 जनवरी को CFMS 2.0 को लॉन्च किया था। केंद्र ने नया वर्जन ना होने के कारण अपने हिस्से वाले फंड को नहीं दिया था। इस कारण राज्य सरकार ने जल्दबाजी में नया वर्जन लॉन्च किया। वित्त विभाग की मानें तो केंद्र सरकार ने 31 जनवरी तक नया वर्जन लॉन्च करने का आदेश दिया था। CFMS 2.0 में सरकार का पुराना डेटा ट्रांसफर नहीं हो सका है। इसके अतिरिक्त नए वर्जन में HRMS काम नहीं कर रहा है।
कर्मचारियों का डेटा जैसे-अकाउंट नंबर आदि दिखाई नहीं दे रहा है। वित्त विभाग के मुताबिक, बिहार सरकार सालाना 75 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा अपने कर्मचारियों के वेतन पर खर्च करती है। यानी, हर महीने लगभग 6 हजार करोड़ रुपए सैलरी के रूप में कर्मचारियों को ट्रांसफर किए जाते हैं।