पटना। सीएम नीतीश ने 15 अगस्त को गांधी मैदान में अपनी इच्छा जताई थी कि उनकी सरकार नियोजित शिक्षकों के लिए कुछ बेहतर करने जा रही है। जिसके बाद से ही इंटरनल कमेटी रिपोर्ट तैयार करने में जुट गई थी।
नियोजित शिक्षकों का सपना जल्द होगा पूरा
बिहार के लगभग 4 लाख नियोजित शिक्षकों का सपना अब जल्दी ही साकार होगा। बताया जा रहा है कि नीतीश सरकार अब नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने की तैयारी पूरी कर रही है। बता दें कि अक्टूबर माह में दुर्गा पूजा से पहले सरकार नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने जा रही है। जहां इंटरनल कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी हैं, वहीं अब सिर्फ कैबिनेट के मुहर लगने का इंतजार किया जा रहा है।
सीएम ने 15 अगस्त को ही जताई थी इच्छा
फिलहाल अभी सबसे महत्वपूर्ण बैठक होनी बाकी है जिसमें ये तय किया जाएगा कि राज्य के नियोजित शिक्षकों को इस दर्जे के लिए विभागीय परीक्षा देनी होगा या नहीं। बता दें कि सीएम नीतीश कुमार ने 15 अगस्त को ही गांधी मैदान में अपनी यह इच्छा जता दी थी। उन्होंने कहा था कि बिहार सरकार शिक्षा की गुणवत्ता से कोई समझौता करने वाली नहीं है इसलिए वह नियोजित शिक्षकों के लिए कुछ बेहतर करने जा रहे हैं और इसी के बाद इंटरनल कमिटी रिपोर्ट तैयार करने में जुट गई थी। सीएम ने इसके लिए चार बार शिक्षा विभाग के ACS केके पाठक से भी आवास पर मुलाकात की थी और जल्द ही रिपोर्ट तैयार कर सौंपने का निर्देश दिया था।
सरकार के लिए थी बड़ी चुनौती थी
बता दें कि इसकी सारी तैयारियां की जा चुकी हैं। हालांकि ये सरकार के लिए बड़ी चुनौती थी क्योंकि यह कई विभागों से जुड़ा मामला था। नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा देने में दिक्कत यह आ रही थी कि वह अलग-अलग नियोजन इकाइयों के माध्यम से नियोजित हुए हैं। बताया जा रहा है कि नियम के अनुसार जिन नियोजन इकाइयों से वो आए हैं वही उनके विषय में निर्णय लेने के लिए वैधानिक रूप से जिम्मेदार है। साथ ही उन्हें राज्यकर्मी का दर्जा देने को लेकर विधिक परामर्श के साथ राज्य मंत्रिमंडल की अनुमति भी आवश्यक है।