पटना। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व पिछड़ों के मसीहा कहे जाने वाले कर्पूरी ठाकुर की आज 100वीं जयंती (Bharat Ratna Karpuri Thakur)हैं। इससे पहले 23 जनवरी को सरकार ने उन्हें भारत रत्न देने का ऐलान किया। वहीं अब इसे लेकर बिहार के नेताओं के बीच बयानबाजी शुरू हो गई है। इसी बीच बिहार के डिप्टी […]
पटना। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व पिछड़ों के मसीहा कहे जाने वाले कर्पूरी ठाकुर की आज 100वीं जयंती (Bharat Ratna Karpuri Thakur)हैं। इससे पहले 23 जनवरी को सरकार ने उन्हें भारत रत्न देने का ऐलान किया। वहीं अब इसे लेकर बिहार के नेताओं के बीच बयानबाजी शुरू हो गई है। इसी बीच बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने मोदी सरकार से एक मांग कर दी है।
मीडिया से बात करते हुए बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा कि कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित किये जाने की हमारी पुरानी मांग रही है। जब प्रधानमंत्री विधानसभा के प्रांगण में आए थे तो भी हमने ये मांग रखी थी। बड़ी खुशी की बात है कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और समाज के बड़े समाजवादी नेता कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न मिला है लेकिन इसका असर राजनीतिक तौर पर भी देखा जाएगा। अगर साथ में कांशीराम को भी भारत रत्न मिल जाता तो और भी अपार खुशी होती।
देश में बड़े दलित नेताओं में कांशीराम का नाम आता है। कांशीराम ने बहुजन समाजवादी पार्टी की स्थापना की थी। इनका जन्म 15 मार्च 1934 को पंजाब के रोपड़ जिले के खवासपुर में हुआ था। वो चमार जाति से आते थे। इनके जन्म के बाद परिवार ने धर्म परिवर्तन कर लिया था। इस वजह से इन्हें सामजिक भेदभाव का सामना करना पड़ा था। इन्होंने 14 अप्रैल 1973 को ऑल इंडिया बैकवर्ड माइनॉरिटी कम्युनिटीज एम्प्लॉईज फेडरेशन का गठन किया। 1981 के अंत में इस संगठन को नया नाम देते हुए DS-4 कहा, जिसका अर्थ था दलित शोषित समाज संघर्ष समिति। जिस दिन DS-4 का गठन किया गया उन्होंने एक नारा दिया था, ‘ठाकुर, ब्राह्मण, बनिया छोड़ बाकी सब हैं DS-4’