पटना। दीक्षांत समारोह जिसे ग्रेजुएशन सेरेमनी के नाम से भी जाना जाता है। उसमें अभी तक काले कलर का गाउन और कैप पहना जाता है, लेकिन अब मेडिकल कॉलेजों में ड्रेस कोड को बदलने की ऐलान किया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मेडिकल कॉलेजों से कहा है कि अब से ग्रेजुएशन सेरेमनी में भारतीय […]
पटना। दीक्षांत समारोह जिसे ग्रेजुएशन सेरेमनी के नाम से भी जाना जाता है। उसमें अभी तक काले कलर का गाउन और कैप पहना जाता है, लेकिन अब मेडिकल कॉलेजों में ड्रेस कोड को बदलने की ऐलान किया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मेडिकल कॉलेजों से कहा है कि अब से ग्रेजुएशन सेरेमनी में भारतीय परंपरा के हिसाब से कपड़े पहने जाएंगे।
अभी तक हम सभी यूरोप के काले रंग के गाउन और टोपी पहनने की परंपरा निभा रहे थे। जो ब्रिटिश शासन से चली आ रही थी, लेकिन अब इसे बदलने का वक्त आ गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, एम्स और दूसरे मेडिकल संस्थानों को अपने-अपने राज्य की परंपरा के मुताबिक नए ड्रेस कोड का प्रस्ताव भेजना होगा। मंत्रालय ने आगे कहा है कि ग्रेजुएशन सेरेमनी में ब्लैक ड्रेस और टोपी पहनने की परंपरा ब्रिटिश काल की देन है, इसे बदलने की आवश्यकता है। इसके लिए सभी मेडिकल संस्थानों को निर्देश दिए गए है कि वे अपने यहां के स्थानीय रीति-रिवाजों के मुताबिक नए ड्रेस कोड का प्रस्ताव तैयार करें।
इस प्रस्ताव को मंजूरी के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय भेजा जाएगा। मंत्रालय के सचिव (स्वास्थ्य) इस पर अपनी सहमति देंगे। स्वास्थ्य मंत्रालय के इस फैसले का प्रभाव एम्स जैसे बड़े संस्थानों समेत सभी मेडिकल कॉलेजों पर पड़ेगा। स्वास्थ्य मंत्रालय ने आज सभी मेडिकल कॉलेजों को ग्रेजुएशन सेरेमनी में ब्लैक गाउन और कैप वाले ड्रेस कोड को हटाने का निर्देश दिया है। हालांकि IIT हैदराबाद ने साल 2011 में ही ब्रिटिश काल से चली आ रही इस परंपरा को खत्म कर दिया था। साल 2011 से वहां दीक्षांत समारोह में पारंपरिक वेशभूषा पहनी जाती है, इसलिए जब भी वहां पर दीक्षांत समारोह होता है तो उसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल होती है।