आखिर क्यों मनाया जाता है मकर संक्रांति का पर्व, जानें इससे जुड़ी 4 पौराणिक कथाएं

पटना। आज 14 जनवरी 2025 को पूरे देश में मकर संक्रांति का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इससे उत्तरायण का आरंभ होता है। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि इस दिन से सूर्य देव की कृपा बरसती है और नए […]

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आखिर क्यों मनाया जाता है मकर संक्रांति का पर्व, जानें इससे जुड़ी 4 पौराणिक कथाएं

Pooja Pal

  • January 14, 2025 5:07 am IST, Updated 19 hours ago

पटना। आज 14 जनवरी 2025 को पूरे देश में मकर संक्रांति का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इससे उत्तरायण का आरंभ होता है। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि इस दिन से सूर्य देव की कृपा बरसती है और नए साल की शुरुआत होती है।

कथाएं जीवन जीने का सबक सिखाती है

मकर संक्रांति का यह पर्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक भी है। मकर संक्रांति का त्योहार लोगों को एक साथ जोड़ता है और रिश्तों के मजबूत बनाता है। इस दिन से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं भी हमारे ग्रंथों में मिलती हैं, जो हमें जीवन सही तरीके से जीने का सबक सिखाती हैं।

  1. सूर्य देव और शनि देव की कथा

इस कथा के अनुसार, एक बार सूर्य देव और शनि देव के बीच आपसी मतभेद हो गया था। क्रोध में आकर सूर्य देव ने शनि देव को श्राप दे दिया था। शनि देव को सूर्य देव द्वारा दिए गए इस कठोर श्राप के कारण बहुत कष्ट उठाना पड़ा, लेकिन बाद में सूर्य देव को अपनी गलती का एहसास हुआ। वह आत्मग्लानि से निराश हो गए। इसके बाद सूर्य देव ने अपनी गलती के लिए शनि देव से क्षमा मांगी। सूर्य देव को भी शनि देव ने क्षमा कर दिया और उसी दिन से सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करने लगे। इस कथा के अनुसार, सूर्य देव और शनि देव का मिलन मकर संक्रांति के दिन होता है और इसी दिन से सभी भक्तों पर सूर्य देव की कृपा बरसती है।

  1. भगीरथ और गंगा की कथा

इस कथा के अनुसार, पने पूर्वजों के मोक्ष के लिए राजा भगीरथ गंगा नदी को धरती पर लेकर आए थे। गंगा नदी इतनी शक्तिशाली थी कि धरती को नष्ट कर सकती थी। इसी कारण से राजा भगीरथ भगवान शिव के पास गए और उनसे सहायता मांगी। इसके बाद भगवान शिव ने गंगा नदी को अपने जटाओं में बांध लिया। बाद में भगीरथ के अनुरोध पर भगवान शिव ने गंगा नदी को धरती पर छोड़ दिया। इस कथा के अनुसार गंगा नदी मकर संक्रांति के दिन ही धरती पर आई थी। इसलिए मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान का काफी महत्व है।

  1. यशोदा और श्रीकृष्ण की कथा

माता यशोदा ने श्रीकृष्ण को प्राप्त करने के लिए मकर संक्रांति का व्रत रखा था। इस कथा के अनुसार, मकर संक्रांति का व्रत रखने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इन कथाओं के अलावा भी मकर संक्रांति से जुड़ी कई अन्य कथाएं हैं। इन कथाओं का उद्देश्य लोगों को धर्म और संस्कृति से जोड़ना है।

  1. भगवान विष्णु का वामन अवतार

इस कथा के अनुसार, एक बार असुर राजा बलि को भगवान विष्णु ने धोखा देकर पाताल लोक भेज दिया था। बलि ने भगवान विष्णु से तीन पग भूमि मांगी थी। भगवान विष्णु ने तीन पग में ही तीनों लोकों को नाप लिया था। कुछ मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु ने मकर संक्रांति के दिन ही बलि को पाताल लोक भेजा था।

  1. कथाओं का आध्यात्मिक महत्व

मकर संक्रांति से जुड़ी ये कथाएं न केवन जीवन के लिए एक मागदर्शक का काम करती है, बल्कि इनमें गहरा आध्यात्मिक महत्व भी छिपा होता है। ये कथाएं हमें जीवन के कई महत्वपूर्ण सबक सिखाती हैं। कुछ कथाएं समाज सुधार का संदेश देती हैं। जैसे कि भगवान विष्णु का वामन अवतार, जो अधर्म का नाश करने और धर्म की स्थापना करने के लिए लिया गया था। कई कथाएं प्रकृति के महत्व को दर्शाती हैं। जैसे कि गंगा नदी का धरती पर आना। यह हमें प्रकृति के संरक्षण का महत्व सिखाता है। ये कथाएं हमें आध्यात्मिक विकास की ओर प्रेरित करती हैं। हमें सिखाती हैं कि हमें अपने अंदर के देवता को जगाना चाहिए और अच्छे कर्म करने चाहिए।

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