शिव भक्त क्यों करते हैं कांवड़ यात्रा, जानें इसके लाभ और महत्व

पटना : सावन माह की शुरुआत होते ही सभी शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ शिव की पूजा आराधना करने के लिए उमड़ पड़ती है. खासकर सावन के माह में कांवड़ यात्रा का बेहद खास महत्व बताया गया है. बता दें कि कांवड़ यात्रा के दौरान शिव भक्त किसी भी पवित्र नदी से जल भरकर […]

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शिव भक्त क्यों करते हैं कांवड़ यात्रा, जानें इसके लाभ और महत्व

Shivangi Shandilya

  • July 21, 2024 8:04 am IST, Updated 4 months ago

पटना : सावन माह की शुरुआत होते ही सभी शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ शिव की पूजा आराधना करने के लिए उमड़ पड़ती है. खासकर सावन के माह में कांवड़ यात्रा का बेहद खास महत्व बताया गया है. बता दें कि कांवड़ यात्रा के दौरान शिव भक्त किसी भी पवित्र नदी से जल भरकर पैदल मंदिर पहुंचते हैं. इस दौरान भक्त भगवान शिव को जल चढ़ाते हैं. माना जाता है कि सावन में जो भी भक्त भगवान शिव के ऊपर जलाभिषेक करते हैं. उनकी सभी मनोकामनाएं भगवान भोलेनाथ अवश्य पूर्ण करते हैं. तो ऐसे में चलिए जानते हैं सावन में कांवड़ यात्रा का क्या महत्व है?

सोमवार से सावन की शुरुआत

सावन माह को लेकर बहुत सारे ज्योतिषाचार्य का कहना है कि इस साल सावन में बहुत सालों के बाद दुर्लभ संयोग बना है. 22 जुलाई, सोमवार से सावन माह की शुरुआत हो रही है. वहीं सावन का अंत भी सोमवार दिन से ही हो रहा है. सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है। सावन माह भोलेनाथ को बेहद प्रिय है. माना जाता है कि इस माह में कांवड़ यात्रा कर भगवान भोलेनाथ के ऊपर जल चढाने से भक्तों के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं.

सावन में ही भगवान शिव ने विष पिया

वहीं कुछ धार्मिक ग्रंथों में तो यह भी बताया गया है कि सावन के महीने में ही समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को भगवान भोलेनाथ ने अपने कंठ में रख लिया था. जिस वजह से उनका शरीर अधिक गर्म होकर नीले रंग का हो गया। तभी सभी देवताओं ने मन बनाया कि गंगा से जल लेकर भगवान शंकर के ऊपर चढ़ाया जाए, जिससे भगवान शिव बेहद खुश हो गए.

कुछ ग्रंथों की मानें तो परशुराम ने की सबसे पहले शुरुआत

मान्यता है कि सावन में कांवड़ यात्रा की शुरुआत सबसे पहले महान शिव भक्त भगवान परशुराम ने की थी। तभी से ऋषि-मुनियों की कांवड़ यात्रा शुरू हुई। जो भी भक्त सावन के महीने में कांवड़ यात्रा करता है और भगवान भोलेनाथ के दर पर उन्हें जल चढ़ाता है, उसकी मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ती है।

कुछ मान्यताओं के अनुसार, प्रभु राम ने शुरू की कांवड़ यात्रा

कुछ पौराणिक धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, सबसे पहले कांवड़ यात्रा की शुरुआत भगवान राम ने की थी। प्रभु राम ने बिहार राज्य के सुल्तानगंज से लाए गंगाजल से बाबा धाम के शिवलिंग का जलाभिषेक किया था। तभी से ही कांवड़ यात्रा की शुरुआत मानी जाती है।

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