पटना: सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए महाशिवरात्रि का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिसे भगवान शिव और देवी गौरी के विवाह उत्सव के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन काल में फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव और देवी शक्ति का मिलन हुआ था, जिसे महाशिवरात्रि […]
पटना: सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए महाशिवरात्रि का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिसे भगवान शिव और देवी गौरी के विवाह उत्सव के रूप में मनाया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन काल में फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव और देवी शक्ति का मिलन हुआ था, जिसे महाशिवरात्रि कहा जाता है।
शास्त्रों में चार प्रहर की पूजा का प्रावधान है, इन प्रहर की पूजा से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा का समय – शाम 06:29 बजे से रात 09:34 बजे तक
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा का समय- 27 फरवरी को रात्रि 09:34 बजे से 12:39 बजे तक
रात्रि तृतीया प्रहर पूजा समय- 27 फरवरी को दोपहर 12:39 बजे से 03:45 बजे तक
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय- 27 फरवरी सुबह 03:45 बजे से सुबह 06:50 बजे तक
हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का महत्व है, इस दिन महाशक्ति मां पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ था। इसी कारण से इस दिन भगवान शिव की पूजा और अभिषेक किया जाता है और पौराणिक कथाओं के अनुसार माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह कराया जाता है। शिव का मानना है कि इस दिन भगवान शिव की विधिवत पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है, साथ ही सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति मिलती है। इस साल की महाशिवरात्रि बेहद खास है क्योंकि इस दिन 12 साल बाद प्रयागराज महाकुंभ का आखिरी शाही स्नान होगा.