Vaishakh Vinayak Chaturthi: इस दिन है वैशाख की विनायक चतुर्थी, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

पटना। हिंदू धर्म में की किसी भी पूजा-पद्धति की शुरुआत सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा से होती है। यही वजह है कि गणेश जी की पूजा के बिना कोई भी पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती। ऐसा माना जाता है कि गणेश जी बुद्धि, विद्या, रिद्धि-सिद्धि के दाता है और उनकी पूजा करने से सारे कष्ट […]

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Vaishakh Vinayak Chaturthi: इस दिन है वैशाख की विनायक चतुर्थी, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

Nidhi Kushwaha

  • May 8, 2024 8:35 am IST, Updated 7 months ago

पटना। हिंदू धर्म में की किसी भी पूजा-पद्धति की शुरुआत सर्वप्रथम गणेश जी की पूजा से होती है। यही वजह है कि गणेश जी की पूजा के बिना कोई भी पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती। ऐसा माना जाता है कि गणेश जी बुद्धि, विद्या, रिद्धि-सिद्धि के दाता है और उनकी पूजा करने से सारे कष्ट से मुक्ति मिलती है। ऐसे में गणपति जी को प्रसन्न करने के लिए विनायक चतुर्थी (Vaishakh Vinayak Chaturthi) व्रत करना चाहिए।

हर माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी होती है। गणपति जी की पूजा के लिए ये व्रत बहुत ही फलदायी माना गया है। ऐसे में आइए जानते हैं वैशाख विनायक चतुर्थी 2024 की तारीख, पूजा मुहूर्त के बारे में।

वैशाख विनायक चतुर्थी 2024 की तारीख

इस बार वैशाख माह में विनायक चतुर्थी (Vaishakh Vinayak Chaturthi) 11 मई 2024, दिन शनिवार को है। इस दिन गणपति जी की पूजा करने वालों को ज्ञान, सुख और सृमद्धि की प्राप्त होती है। साथ ही ये भी माना जाता है कि विनायक चतुर्थी पर चंद्रमा की पूजा नहीं करनी चाहिए, इससे कलंक लगता है।

वैशाख विनायक चतुर्थी 2024 पर शुभ मुहूर्त

पंचांग के मुताबिक वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 11 मई 2024, दिन शनिवार को प्रात: 02 बजकर 50 मिनट से शुरू हो जाएगी। जो कि 12 मई 2024, दिन रविवार को प्रात: 02 बजकर 03 मिनट, पर संपन्न होगी।

पूजा का समय

विनायक चतुर्थी पर सुबह 10.57 से दोपहर 01.39 (12 मई 2024) तक पूजा का शुभ समय है।

विनायक चतुर्थी की पूजा विधि

विनायक चतुर्थी के दिन प्रातः स्नान करने के बाद शुभ मुहूर्त में तांबे, मिट्टी की गणेश प्रतिमा लें। अब एक कोरे कलश में जल भरकर उसके मुंह पर लाल वस्त्र बांधकर उसके ऊपर गणेश जी को विराजमान कर दें। इसके बाद गणेश जी को सिंदूर और दूर्वा अर्पित कर 21 लडडुओं का भोग लगाएं। इनमें से 5 लड्डू गणेश जी को अर्पित करके शेष लड्डू जरुरतमंदों में बांट दें। अब गणेश चतुर्थी की कथा, गणेश चालीसा का पाठ करें। परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करें और आरती के बाद शाम को फिर से पूजा के बाद व्रत पारण करें।

चंद्र को अर्घ्य न दें

दरअसल, पौराणिक कथाओं की मानें तो जब गणपति को गज का मुख लगाया गया था तो चंद्र देव ने उनके शरीर की बनावट पर उपहास किया। चांद को अपने सौंदर्य पर बहुत अभिमान था। इस तरह के व्यवहार से गणपति बप्पा को उनपर बहुत क्रोध आया और उन्होंने चंद्रमा को श्राप दिया कि तुम्हारा रंग काला पड़ जाएगा और जो गणेश चतुर्थी पर तुम्हारे दर्शन करेगा उस पर झूठ का कलंक लगेगा। हालांकि, अपनी भूल का एहसास होने पर चंद्र देव ने गणपति जी से माफी तो मांगी लेकिन श्राप वापस नहीं हो सका।

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।

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