आज है पुत्रदा एकादशी, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

पटना। हिंदू धर्म में साल भर में 24 एकादशी के व्रत आते है, जो हर महीने में 2 बार पड़ती हैं। महीने में पहला एकादशी व्रत कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष में पड़ता है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की खास पूजा करने से दोनों का आशीर्वाद […]

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आज है पुत्रदा एकादशी, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Pooja Pal

  • January 10, 2025 3:08 am IST, Updated 7 hours ago

पटना। हिंदू धर्म में साल भर में 24 एकादशी के व्रत आते है, जो हर महीने में 2 बार पड़ती हैं। महीने में पहला एकादशी व्रत कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष में पड़ता है। धार्मिक मान्यता के मुताबिक एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की खास पूजा करने से दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस दिन व्रत करने वाली महिलाओं की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

एकादशी का शुभ मुहूर्त

वहीं आज यानी शुक्रवार, 10 जनवरी को साल की पहली एकादशी है, जिसे पुत्रदा और वैकुंठ एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से संतान की प्राप्ति होती है। जिन महिलाओं की संतान नहीं है अगर वह यह व्रत करेंगी तो उन्हें संतान की प्राप्ति होगी। वैदिक पंचांग के मुताबिक साल की पहली एकादशी यानी पुत्रदा एकादशी तिथि की शुरुआत पौष माह में 9 जनवरी दोपहर 1 बजकर 12 मिनट से आरंभ होगा। जिसकी समाप्ति अगले दिन यानी 10 जनवरी को दोपहर 12 बजकर 43 मिनट पर होगी।

पारण का सही समय

ऐसे में उदया तिथि के मुताबिक पुत्रदा एकादशी का व्रत 10 जनवरी को ही रखा जा रहा है। आज पुत्रदा एकादशी पूरे दिन मनाई जाने वाली है। पुत्रदा एकादशी के व्रत का पारण 11 जनवरी को सुबह 7 बजकर 15 मिनट से 8 बजकर 21 मिनट के बीच किया जाएगा। यह समय सबसे शुभ है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। पुत्रदा एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर नहा लेना चाहिए। इस दिन पीले रंग के वस्त्र पहनने चाहिए। मंदिर की साफ-सफाई करनी चाहिए।

एकादशी की पूजा विधि

भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करनी चाहिए। दोनों की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। मां लक्ष्मी को 16 श्रृंगार अर्पित करना चाहिए। प्रतिमा के सामने घी का दीपक जलाना चाहिए। दोनों की आरती उतारें और मंत्रों का उच्चारण करें। अब एकादशी की कथा को सुने। इसके बाद दोनों को मीठे का भोग लगाना चाहिए। आखिर में दोनों का आशीर्वाद ले और क्षमा प्रार्थना करें। सभी में प्रसाद बांट दें।

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