इस नवरात्रि जरूर करें श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ, इन 13 अध्यायों में छिपा है जीवन के दुखों का समाधान

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पटना: हिंदू धर्म में नवरात्रि को प्रमुख त्योहार माना गया है. इस साल शारदीय नवरात्रि की शुरुआत गुरुवार, 3 अक्टूबर से जो शनिवार 12 अक्टूबर तक चलेगी. ऐसे में नवरात्रि शुरू होने से पहले जान लें कुछ खास बातें। नवरात्रि के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से क्या लाभ होता है आदि सबकुछ जानेंगे इस आर्टिकल में।

दुर्गा सप्तशती का पाठ करना अति लाभकारी

नवरात्रि के दौरान श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दुर्गा सप्तशती को शतचंडी, नवचंडी या चंडी पाठ के नाम से भी जाना जाता है। रामायण में भगवान राम ने भी लंका पर आक्रमण करने से पहले इस चंडी पाठ का आयोजन किया था, जिसे आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक शारदीय नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है।

सभी अध्याय से मिलता है अलग-अलग लाभ

दुर्गा सप्तशती के सभी 13 अध्यायों का अपना एक अलग ही महत्व है. यदि इसका पाठ श्रद्धापूर्वक किया जाए तो फल बहुत जल्दी प्राप्त होता है, लेकिन लोभ से किया गया पाठ कोई फल नहीं देता। दुर्गा सप्तशती के प्रत्येक अध्याय का क्या फल है और दुर्गा सप्तशती के पाठ का क्या अलौकिक महत्व है। आज यहां हम दुर्गा सप्तशती पाठ के बारे में सभी आवश्यक और महत्वपूर्ण बात जानेंगे.

अध्याय 1- इसके पाठ को करने से सभी तरह की चिंता से मुक्ति मिलती हैं और शत्रु का भी डर हमारे अंदर से दूर हो जाता है. इतना ही नहीं, दुर्गा सप्तशती के प्रथम अध्याय का पाठ करने से शत्रुओं का नाश होता है। यह पाठ सभी प्रकार की चिंताओं को दूर करने, मानसिक विकारों से उत्पन्न बाधाओं को दूर करने, मन को सही दिशा में लगाने और खोई हुई चेतना को वापस लाने में जबरदस्त प्रभाव दिखाता है।

अध्याय 2- इसका पाठ करने से किसी भी प्रकार के विवाद या वाद-विवाद में, मकान या जमीन पर कब्जा कर लेने वाले प्रबल शत्रु के विरुद्ध विजय प्राप्त होती है। कोर्ट-कचहरी, लड़ाई-झगड़े आदि में विजय पाने के लिए यह पाठ बहुत उपयोगी है। लेकिन झूठ बोलने वालों और गलत काम करने वालों को इससे कोई लाभ नहीं मिलता।

अध्याय 3- तृतीय अध्याय के पाठ से युद्ध व कोर्ट-कचहरी में विजय मिलती है तथा शत्रुओं से मुक्ति मिलती है। शत्रुओं से मुक्ति पाने के लिए यदि आपके अकारण ही शत्रु हो रहे हैं और आप यह पता नहीं लगा पा रहे हैं कि ऐसा कौन कर रहा है तो यह पाठ उपयुक्त है।

अध्याय 4- इस अध्याय को पढ़ने से धन-संपत्ति, सुंदर जीवनसाथी और मां की भक्ति प्राप्त होती है। भक्ति, शक्ति और तत्वज्ञान के लिए यह पाठ उन लोगों के लिए फलदायी है जो साधना में लगे हैं और समाज के हित के लिए साधना को चेतना देना चाहते हैं।

अध्याय 5- इस अध्याय को पढ़ने से भक्ति मिलती है और भय, बुरे स्वप्न और भूत-प्रेत से मुक्ति मिलती है। भक्ति, शक्ति और दर्शन के लिए जो लोग जीवन से परेशान हैं और सोचते हैं कि हर मंदिर और दरगाह पर जाने के बाद भी उन्हें कुछ नहीं मिला, उन्हें इस अध्याय को नियमित रूप से पढ़ना चाहिए।

अध्याय 6- इस अध्याय को पढ़ने से सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं और सभी मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं। यदि भय, शंका, बाधाएं हों, राहु बहुत खराब हो, केतु पीड़ित हो, तंत्र, जादू, भूत-प्रेत आदि का भय हो तो यह अध्याय अवश्य पढ़ना चाहिए।

अध्याय 7- इस अध्याय को पढ़ने से मन की सभी इच्छाएं या कोई विशेष गुप्त इच्छा पूरी हो जाती है। आप सच्चे मन से जो भी कामना करें और किसी को नुकसान न पहुंचाएं, यह अध्याय हर इच्छा को पूरा करने में कारगर है।

अध्याय 8- इस अध्याय को पढ़ने से धन लाभ के साथ-साथ वशीकरण भी प्रबल होता है। मिलन और वशीकरण के लिए यह अध्याय बहुत कारगर माना जाता है। हालांकि गलत इरादे से किया गया वशीकरण आपको बुरे परिणाम भी दे सकता है। इसके तहत वशीकरण केवल अच्छे के लिए ही किया जाना चाहिए।

अध्याय 9- इस अध्याय के पाठ से खोई हुई वस्तु को खोजने में सफलता मिलती है। धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है। खोई हुई सामान ढूंढने, हर प्रकार की इच्छा पूरी करने तथा पुत्र प्राप्ति आदि के लिए यह पाठ कई लोगों के लिए घर से बाहर जाने या खो जाने के बाद वापस आने का साधन बन जाता है।

अध्याय 10- इस अध्याय को पढ़ने से गुम हुए व्यक्ति को ढूंढने में सफलता मिलती है। संतान प्राप्ति की शक्ति और सुख की प्राप्ति होती है। गुम हुए व्यक्ति को ढूंढने के लिए, हर मनोकामना पूरी करने के लिए, पुत्र प्राप्ति के लिए, अच्छे पुत्र की कामना करने वालों के लिए या गलत रास्ते पर जा रहे बच्चों को सही रास्ते पर लाने के लिए यह अध्याय बहुत फलदायी है।

अध्याय 11- ग्यारहवें अध्याय का पाठ करने से सभी प्रकार की चिंताओं से मुक्ति मिलती है, व्यापार में सफलता मिलती है और सुख-संपत्ति की प्राप्ति होती है। व्यापार में सुख-संपत्ति प्राप्त करने के लिए। यदि आपको व्यापार में घाटा हो रहा है, पैसा टिकता नहीं है या बेकार की चीजों पर बर्बाद हो रहा है, तो यह पाठ आपके जीवन को बदल सकता है।

अध्याय 12- इस अध्याय को पढ़ने से रोगों से मुक्ति, निर्भयता और समाज में सम्मान मिलता है। मान-सम्मान और लाभ मिलता है। सम्मान जीवन का एक हिस्सा है। अगर कोई आप पर इसका आरोप लगाता है, तो यह अध्याय अवश्य पढ़ना चाहिए।

अध्याय 13- इस अध्याय को पढ़ने से देवी की भक्ति प्राप्त होती है तथा सभी इच्छित वस्तुएं प्राप्त होती हैं। भक्ति प्राप्ति के लिए पूर्ण भक्ति हेतु साधना के बाद इस अध्याय को पढ़ना चाहिए।