बिहार का ऐसा मंदिर जहां नवरात्रि में महिलाओं को नहीं मिलती एंट्री, जानें इसके पीछे का रहस्य

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पटना: इन दिनों देशभर में नवरात्रि की धूम मची है। इस बीच बिहार के नालंदा जिले के मां आशापुरी मंदिर में नवरात्र में 9 दिन महिलाओं के एंट्री पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है. महिलाओं को मंदिर कैंपस में भी एंट्री करने की अनुमति नहीं मिलती है. इसके साथ ही पुरुष भी नवरात्रि के नौ दिनों तक मंदिर के गर्भगृह में नहीं जाते हैं. मंदिर की यह प्रथा वर्षों पुरानी है. मां आशापुरी मंदिर गिरियक ब्लॉक के घोसरावां गांव में है.

नवरात्रि के दौरान विशेष तंत्र-मंत्र अनुष्ठान

मंदिर परिसर और गर्भगृह में पुरुषों और महिलाओं का प्रवेश बंद करने के पीछे मुख्य कारण तांत्रिक अनुष्ठानों का चलन है। आपको बता दें कि नवरात्रि के दौरान मंदिर में विशेष तंत्र-मंत्र अनुष्ठान किए जाते हैं। जिससे बुरी शक्तियां सक्रिय हो जाती हैं। ऐसा डर रहता है कि अगर इस दौरान महिलाएं मौजूद रहीं तो उनके शरीर में बुरी शक्तियां प्रवेश कर सकती हैं। इससे पूजा असफल हो जायेगी.

9वीं सदी से चली आ रही यह परंपरा

स्थानीय लोगों का कहना है कि यह परंपरा 9वीं सदी से चली आ रही है. नौवीं शताब्दी में यह दुनिया का सबसे लोकप्रिय बौद्ध ध्यान केंद्र था। बौद्ध लोग यहां आकर तंत्र-मंत्र की साधना करते थे। दूर-दूर से तांत्रिक भी आते थे और नवरात्रि के दौरान विशेष पूजा-अर्चना करते थे।

गर्भगृह में सिर्फ तीन पुजारी ही प्रवेश करते

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नवरात्रि के मौके पर मां आशापुरी मंदिर के गर्भगृह में सिर्फ तीन पुजारी ही प्रवेश करते हैं. सुबह-शाम 4 से 5 घंटे चंडी पाठ होता है, जिसमें विशेष रूप से तांत्रिक विधि भी अपनाई जाती है। नवरात्रि के आखिरी दिन विशेष हवन के बाद महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की अनुमति दी जाती है। यही बात पुरुषों पर भी लागू होती है. हालांकि, पुरुष मंदिर परिसर में आ सकते हैं.

मां के दरबार में कई बॉलीवुड हस्तियां पहुंच चुके हैं

बता दें कि अभिनेता संजय दत्त के पिता सुनील दत्त के साथ-साथ कई बॉलीवुड हस्तियां भी मां के दरबार में हाजिरी लगा चुके हैं. बिहार के राज्यपाल व सीएम सहित कई राजनेता भी मंदिर में हाजिरी लगा चुके हैं. मंदिर में शिलापट्ट पर आशापुरी महारानी की मूर्ति 300 ईसा पूर्व की है। मध्य प्रदेश के राजा यशोवर्मन ने आठवीं शताब्दी में यशोवर्मपुर नामक इस क्षेत्र को बसाया था।