पटना। जैन धर्म में रोहिणी व्रत को 24 तीर्थकरों में से 12 वें तीर्थकर भगवान ऋषभदेव के जन्मदिन के उपलक्ष्य में बनाया जाता है। यह व्रत 5 दिनों तक रखा जाता है। इस पांच दिन के व्रत को पूर्णिमा या अमास्या की तिथि से शुरू किया जाता है। हिंदू धर्म में भी रोहिणी व्रत का एक अलग ही महत्व है। यह उपवास धन लक्ष्मी को समर्पित है। इस उपवास को सुख-समृद्धि के लिए किया जाता है। इतना ही नहीं सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए भी यह उपवास करती है।
रोहिणी व्रत का शुभ मुहूर्त
ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति रोहिणी व्रत करता है उसे कई तरह की समस्या से छुटकारा मिलता है। साथ ही ग्रहों की स्थिति भी मजबूत होती है। हिंदू पंचाग के मुताबिक रोहिणी व्रत 3 जुलाई यानी आज के दिन रखा जाएगा। रोहिणी व्रत को लगातार 3 साल , 5 साल या 7 साल तक करने का नियम है। इसके बाद रोहिणी व्रत का उद्यापन किया जा सकता है। रोहिणी व्रत का शुभ मुहूर्त नक्षत्र के महीने में आता है। इसकी समय की अवधि करीबन 2 दिनों तक की होती है। इन 2 दिनों में व्रत को किया जा सकता है। बताया जा रहा है कि जैन धर्म में रोहिणी व्रत पवित्र माना जाता है। इस दिन पूजा ब्रह्म मुहूर्त में करें तो अच्छा माना जाएगा।
पंच महाव्रतों में से एक
रोहिणी उपवास को पंच महाव्रतों में से एक माना जाता है। पंच महाव्रत जैन धर्म के 5 मुख्य तत्व है जो अंहिसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह है। रोहिणी उपवास को करने से इन महाव्रतों का पालन करने में आसानी होती है। रोहिणी व्रत को आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस व्रत को करने से मन को शांति प्राप्त होती है। दिमाग को एकाग्रता में बढ़ोत्तरी होती है। वहीं इस उपवास से नकारात्मक विचारों का नाश करते है।