पटना। दिवाली पर मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा के लिए लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति खरीदते समय कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। मूर्ति खरीदते समय सही जानकारी न होने के कारण कई बार लोग गलत मूर्ति घर ले आते हैं। ऐसा कहा जाता है कि घर में गलत मूर्ति लाने से जीवन में कई परेशानियां आती हैं। इसीलिए कहा गया है कि छोटी सी गलती भी भारी पड़ सकती है.
31अक्टूबर व 1 नवंबर दोनों दिन दिवाली
जरा सोचिए, इससे बुरी बात क्या हो सकती है कि जिस त्योहार का इंतजार आप पूरे साल मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की कृपा पाने के लिए करते हैं, वह त्योहार आपकी एक छोटी सी गलती के कारण खराब हो जाए। इस साल दिवाली 31 अक्टूबर और 1 नवंबर यानी दोनों दिन मनाई जाएगी और धनतेरस पूजा 29 या 30 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
धनतेरस पर लक्ष्मी गणेश की मूर्ति लेना शुभ
आमतौर पर धनतेरस के मौके पर लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां लाई जाती हैं और दिवाली पर उनकी पूजा की जाती है। आइए जानते हैं लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
मूर्ति खरीदने के दौरान न करें ये भूल
मुद्रा का रखें ध्यान: लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति खरीदते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि माता लक्ष्मी और गणेश बैठी हुई मुद्रा में हों। घर में भगवान की खड़ी मुद्रा वाली मूर्ति नहीं लानी चाहिए, यह अशुभ होती है।
भगवान गणेश की सूंड: लोग अक्सर इस बात को लेकर असमंजस में रहते हैं कि भगवान गणेश की सूंड किस तरफ होनी चाहिए। शास्त्रों के अनुसार घर में पूजा के लिए भगवान गणेश की मूर्ति की सूंड बाईं ओर होनी चाहिए। इसके अलावा उनके हाथ में मोदक और वाहन चूहा होना भी शुभ माना जाता है।
देवी लक्ष्मी की मूर्ति: देवी लक्ष्मी की मूर्ति खरीदते समय इस बात का ध्यान रखें कि देवी लक्ष्मी कमल के फूल पर बैठी हों और उनका दाहिना हाथ आशीर्वाद मुद्रा में हो और बाएं हाथ में कमल का फूल जरूर हो।
जुड़ी हुई न हों मूर्तियां: कभी भी भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की ऐसी मूर्तियां घर न लाएं जो एक-दूसरे से जुड़ी हुई हों।
मूर्ति की सामग्री: मूर्ति की सामग्री का ध्यान रखना भी जरूरी है यानी मूर्ति किस सामग्री से बनी है। घर में हमेशा मिट्टी से बनी लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति लानी चाहिए। सीमेंट और पीओपी से बनी मूर्तियां शुभ नहीं मानी जाती हैं।
इसके अलावा मां लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्ति खरीदते समय रंग और पोशाक का भी ध्यान रखना जरूरी है। गुलाबी, सुनहरे, लाल-भूरे और गहरे पीले रंग की मूर्तियां अधिक शुभ मानी जाती हैं और पोशाक हमेशा भारतीय और राजसी होनी चाहिए।