पटना। जीवित्पुत्रिका व्रत भारत और नेपाल में धूमधाम से मनाया जाता है। जीवित्पुत्रिका व्रत एक पवित्र व महत्वपूर्ण व्रत है जो माताएं अपने पुत्रों की दीर्घायु व सुख-समृद्धि के लिए बिना अन्न जल के रखती हैं। यह व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। व्रत का महत्व यह व्रत […]
पटना। जीवित्पुत्रिका व्रत भारत और नेपाल में धूमधाम से मनाया जाता है। जीवित्पुत्रिका व्रत एक पवित्र व महत्वपूर्ण व्रत है जो माताएं अपने पुत्रों की दीर्घायु व सुख-समृद्धि के लिए बिना अन्न जल के रखती हैं। यह व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है।
यह व्रत आमतौर पर सितंबर या अक्टूबर में महीने में पड़ता है। इस दिन माताएं अपने बेटों की लंबी उम्र व सुखी जीवन के लिए प्रार्थना करती है और व्रत रखती है। इस दिन माताएं पूरे दिन भूखे-प्यासे उपवास करती हैं और अगले दिन सुबह में व्रत तोड़ती हैं। जीवित्पुत्रिका व्रत का महत्व इस बात से है कि यह माताओं को अपने संतानों के प्रति प्रेम व समर्पण दर्शाने का मौका देती है। यह व्रत माताओं को पुत्रों की सुरक्षा व सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करने का एक तरीका भी है।
इस दिन माताएं अपने बेटों के लिए व्रत रखती है और अपनी संतानों के लिए सुख-समृद्धी की कामना करती है। यह व्रत माता-पुत्र के बीच स्नेह व ममता के पवित्र रिश्ते का प्रतीक है। यह व्रत मां और संतान के बीच प्यार के रिश्तों मजबूत बनाने में मदद करता है। आचार्य ने बताया कि पंचांग के मुताबिक जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत इस बार 24 सितंबर मंगलवार को नहाय खाय के साथ आरंभ होगा। तदनुसार कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 25 सितंबर बुधवार को रहेगी।
सनातन में उदया तिथि को बहुत महत्व दिया जाता है, इसलिए उदया तिथि के आधार पर जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत 25 सितंबर बुधवार को ही मनाया जाएगा। 26 सितंबर गुरुवार को दानादि कर्म के साथ ही इस व्रत का पारण किया जाएगा।