Chhath Puja 2023: व्रती क्यों लगाती है छठ पर्व में नाक तक सिंदूर, जानिए इसका महत्व

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Why does a fasting woman apply vermilion till her nose during Chhath festival
Why does a fasting woman apply vermilion till her nose during Chhath festival

पटना। देश भर में त्योहार की धूम मची है। ऐसे में आज (रविवार) को पूरा देश दिवाली मना रहा है। बता दें कि पूरे उत्तर भारत में छठ पूजा को महापर्व माना जाता है। इस कारण यह पर्व अब देश के साथ विदेशों में भी प्रचलित हो रही है। माना जाता है कि इस पर्व का पालन करने से मन की हर मनोकामना पूरी होती है और परिवार में सुख-समृद्धि का बौछाड़ होता है. छठ पर्व को लेकर हिंदू धर्म में अनेक मान्यताएं भी हैं, जिसे हम समृद्धि और पूर्णता की प्रतीक बताते है. इस बार इस महापर्व को 18 और 19 नवंबर को मनाया जाएगा. सबसे कठिन पर्व छठ पूजा को माना जाता है और इस व्रत का नियम भी बहुत आयामी होता है.

डूबते और उगते सूर्य को देते है अर्घ्य 

प्रकृति पूजन को यह पर्व विशेष रूप से परिलक्षित करता है. डूबते और उगते सूर्य को छठ पूजा में अर्घ्य दिया जाता है. इस पूजा के दौरान आपने देखा होगा महिलाएं नाक तक सिंदूर लगाती हैं. छठ पर्व के दौरान वहीं मिथिला क्षेत्र में पहले डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देने के समय सिंदूर चमकते और दिखते रहना चाहिए. इसके लिए महिलाएं अपने मांग से नाक तक रातभर सिंदूर पहनी रहती हैं. इसलिए कहा जाता है कि इसका अपना एक श्रेष्ठ महत्व है.

सिंदूर का है छठ पर्व में विशेष महत्व

पंडित रिपुसूदन ठाकुर ने बताया कि सिंदूर के महत्व को लेकर एक दिन पूर्व शाम और अगले दिन सुबह में छठ पर्व के दौरान डाल्यारोहन होता है. खस्ठी देवी भक्त वत्सला सुहागन संध्या काल में हैं. रात भर इनके सुहागन के प्रतीक होने की वजह से सिंदूर पहन कर इन्हें प्रसन्न करने की पौराणिक परंपरा है. इसके साथ महिलाएं नाक तक लंबा सिंदूर छठ पर्व के दौरान लगाती हैं. जो महिला बालों में सिंदूर को छिपा लेती है मान्यता के अनुसार उनका पति समाज में छिप जाता है और इसके साथ ही वह तरक्की भी नहीं कर पाता है और साथ ही उसकी आयु अल्पायु होता है. छठ के दौरान इस वजह से महिलाएं लंबा सिंदूर लगाती हैं क्योंकि पति की आयु के साथ-साथ उसकी सम्मान भी समाज में बढ़ता रहे।

मटिया सिंदूर बिहार में लगाने की है विशेष परंपरा

मटिया सिंदूर का प्रयोग हिंदू धर्म के मान्यताओं के अनुसार विशेष रूप से बिहार में किया जाता है। इस सिंदूर को सबसे शुद्ध माना जाता है. एकदम मिट्टी की क्वालिटी का यह सिंदूर होता है. जिस कारण इस सिंदूर को मटिया सिंदूर कहा जाता है. पूजा में चढ़ाने के लिए खासतौर पर छठ पूजा के दौरान इस सिंदूर का प्रयोग किया जाता है.