पटना। हर साल 5 जून यानि आज के ही दिन विश्व पर्यावरण दिवस मनाया (World Environment Day) जाता है। पहली बार विश्व पर्यावरण दिवस सन् 1974 में मनाया गया था। पर्यावरण के खतरें और नुकसान के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए ही यह दिवस मनाया जाता है।
विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत
पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों को जागरुक करने के लिए विश्व पर्यावरण दिवस की शुरुआत की गई थी। पर्यावरण को संरक्षित करना व आने वाली पीढ़ियों को एक बेहतर व सुरक्षित पर्यावरण सुनिश्चित करने के मकसद से यह महत्वपूर्ण कदम उठाया गया था। मानव और पर्यावरण के बीच गहरा संबंध है। पर्यावरण संरक्षण के लिए इस संबंध को समझना बेहद जरुरी है। पर्यावरण दिवस इसलिए मनाया जाता है ताकि लोगों को पर्यावरण का महत्व समझाया जा सके। विश्व में पर्यावरण के प्रति लोगों को अपनी जिम्मेदारी को समझना होगा। विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का एक मात्र उद्देश्य पर्यावरण की सुरक्षा को सुनिश्चित करना है।
पर्यावरण दिवस का इतिहास
सन् 1972 में संयुक्त राष्ट्र महासभा(UNGA) ने मानव पर्यावरण पर स्टॉकहोम सम्मलेन के समय 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का एक प्रस्ताव पारित किया गया था। जिसके बाद से ही हर साल यह दिवस मनाया जाने लगा।हर साल विश्व पर्यावरण दिवस को एक थीम के साथ मनाया जाता है। पहला पर्यावरण दिवस ”केवल पृथ्वी की थीम पर” आधारित था। पर्यावरण को सुरक्षित व संरक्षित करना ही इस दिवस का उद्देश्य है। विश्व पर्यावरण दिवस 2024 की थीम ‘भूमि बहाली,मरुस्थलीकरण और सूखा सहनशीलता’रखी गई है। पिछले साल 2023 में इस दिवस को ‘बीट प्लास्टिक पॉल्यूशन’की थीम के साथ मनाया गया था।
पर्यावरण दिवस का महत्व
प्रदूषण की समस्या भारत सहित कई देशों में भी देखने को मिलती है। विश्व में प्रदूषण में लगातार वृद्धि हो रही है। यह बढ़ता प्रदूषण न सिर्फ मानव के लिए , बल्कि पूरे पर्यावरण के लिए भी खतरनाक है। प्रकृति पूरे मानव जीवन का आधार है। प्रकृति हमारे जीवन जीने के लिए वह सभी चीजें उपलब्ध कराती है जो मानव जाति जीवन के लिए आवश्यक है। ऐसे में पर्यावरण का दोहन हमारे जनजीवन को बुरी तरह से प्रभावित करता है। प्रकृति को प्रदूषण एवं दूसरे खतरों से बचाने के उद्देश्य से पर्यावरण दिवस मनाने की शुरुआत की गई थी।