पटना। टाटा ग्रुप के पूर्व चेयमेन और सह भारतीय उद्योग जगत के महान व्यक्ति रतन टाटा बीती रात को निधन हो गया। मुंबई के एक अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। स्वर्गीय रतन टाटा का पटना से भी गहरा रिश्ता रहा है। यह रिश्ता उनके दादा रतन जी टाटा के समय था। रतन टाटा तीन बार पटना का दौरा कर चुके हैं।
अशोक सभा भवन के खंभे मिले
उन्होंने बताया था कि पटना से मेरा रिश्ता आज ही नहीं बल्कि मेरे दादा जी के जमाने से था। रतन जी टाटा ने सन 1912-13 में पाटलिपुत्र को खोज के लिए आर्थिक मदद की जिम्मेदारी उठाई थी। पुरातत्व महानिदेशक से विचार करने के बाद रतन जी टाटा ने यह वादा किया कि वह इस खोज के लिए हर साल ₹20000 की आर्थिक राशि देंगे। इस अभियान के तहत हुई खुदाई में महान सम्राट अशोक के सभा भवन के खंभे प्राप्त हुए थे।
चेंबर के लोग स्वागत के लिए आए
उनके इसी सहयोग के कारण भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को पाटलिपुत्र की खोज करने में सहायता मिली। सर रतन जी टाटा ने इस खोज के लिए 75000 रुपए का राशि दी थी। बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के पूर्व अध्यक्ष पीके अग्रवाल ने बताया कि लालू प्रसाद यादव के शासनकाल में रतन टाटा जमशेदपुर से पटना आए थे। उनके साथ जेजे ईरानी जी भी थे। चेंबर की तरफ से 5-6 सदस्य उनके स्वागत में पटना एयरपोर्ट गए थे।